कोरोना के डर से बाजार में मॉस्क की कमी, कई गुना हुए महंगे

Lack of masks in the market due to fear of corona, costlier
 कोरोना के डर से बाजार में मॉस्क की कमी, कई गुना हुए महंगे
 कोरोना के डर से बाजार में मॉस्क की कमी, कई गुना हुए महंगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना वायरस के चलते देशभर ही नहीं दुनिया के कई देशाें में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे में वायरस से सुरक्षा को लेकर सबसे पहले लोगों को मॉस्क से बचाव का ध्यान में आता है लेकिन वर्तमान में बाजार में मॉस्क की कमी हो गई है इसका सीधा-सीधा कारण स्टॉक को डंप करने की आशंका जताई जा रही है। वहीं दूसरी ओर ऐसी स्थिति से निपटने के लिए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में कपड़े के मॉस्क बनाने की तैयारी कर ली है जिससे आगे के समय में मॉस्क की कमी ना पड़े। जानकारी के अनुसार पिछले दिनों एक रुपए का मॉस्क 7-8 रुपए का हो गया था जो वर्तमान में करीब 14 से 15 रुपए तक का पहुंच गया है। हैरानी की बात तो यह है कि बाजार में मॉस्क कुछ ही दुकानों पर बड़ी मुश्किल से मिल रहा है। जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर लोगों में पैदा हुए डर की वजह से मॉस्क की डिमांड बढ़ गई है यही वजह है कि व्यापारियों ने मॉस्क की सप्लाई को रोक दिया है जिसकी वजह से बाजार में मॉस्क की कमी आ गई और बाजार में 1 रुपए की कीमत वाले मॉस्क की कीमत 15 रुपए पर पहुंच गई है।

कोरोना वायरस के भय से हुआ यह

स्वाइन फ्लू और निपाह जैसे कई सारे वायरस पहले भी आए है लेकिन कोरोना वायरस चीन से होने के कारण वहां से माल की सप्लाई ना होने की बात फैलाई जा रही है जिसको आधार बनाकर आम जनता की जेब पर डांका डालने का काम किया जा रहा है। हालांकि केरल आदि जगह को छोड़ दें तो सामान्य स्थिति बनी हुई है जबकि मॉस्क जैसी सामान्य जैसी भी नहीं मिल पा रही है।

कपड़े के मॉस्क से यह होगा फायदा

कुछ सालों पहले कपड़े के मॉस्क का ही उपयोग ज्यादातर किया जाता था उनकी विशेष बात यह है कि वह एक माह और उससे भी अधिक उपयोग में लाए जा सकते है। उपयोग करने के बाद उनको साफ करने के बाद ऑडोक्लैव कर फिर से उपयोग में लाया जाता है।

सरकारी सप्लाई में भी हुए बंद

इतना ही नहीं सरकारी सप्लाई में रेट कांट्रेक्ट (आरसी) में सरकारी अस्पतालों को देने वाली एजेंसियों ने भी इन दिनों हाथ खड़े कर लिए है। विशेष बात यह है कि उनका कहना है कि मैन्युफैक्चर्र से सप्लाई ना होने की वजह से उनको मॉस्क नहीं मिल पा रहे है। वहीं, आरोप यह है कि निजी क्षेत्र में बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए सरकारी संस्थानों को नहीं दिए जा रहे है। विशेष बात तो यह है कि हाफकिन की लिस्ट वाले सप्लायर्स ने भी सप्लाई करने से हाथ खड़े कर दिए है।

Created On :   16 Feb 2020 6:23 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story