दम तोड़ रही जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना, 16 किलोमीटर लंबी नहर से 1700 हेक्टेयर में होती थी सिंचाई

Largest irrigation project of the district is facing negligence
दम तोड़ रही जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना, 16 किलोमीटर लंबी नहर से 1700 हेक्टेयर में होती थी सिंचाई
दम तोड़ रही जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना, 16 किलोमीटर लंबी नहर से 1700 हेक्टेयर में होती थी सिंचाई

डिजिटल डेस्क, शहडोल। हर खेत तक पानी पहुंचाने जहां एक ओर राज्य शासन द्वारा लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन शहडोल जिले की सबसे पुरानी और बड़ी सिंचाई परियोजना सिंहपुर नहर दम तोड़ रही है। करीब 16 किलोमीटर लंबी इस नहर से आधा दर्जन गावों की 1700 हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेतों में पानी उलब्ध होता था, लेकिन सिंचाई विभाग और प्रशासन की उपेक्षा के चलते वर्तमान में इस नहर की हालत अत्यंत ही जर्जर हो चुकी है। इस नहर की जद में स्थित खेतों के किसान अपने आपको खुशहाल मानते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस इलाके के किसान वर्षा पर आधारित हो चले हैं।

ग्रामीणों ने अनेकों बार सिंचाई विभाग व जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन जर्जर नहर की सुधार की दिशा में किसी ने ध्यान नहीं दिया। जल उपभोक्ता समितियों के माध्यम से कुछ साल तक 50 से 70 हजार की राशि खर्च कराई जाती रही, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई। कुल मिलाकर प्रशासनिक उपेक्षा के कारण नहर का अस्तित्व मिटता जा रहा है और किसान खेती करना छोड़ते जा रहे हैं।

नाली से बदतर स्थिति
पटवारी हल्का सिंहपुर की सीमा में सरफा नदी पर बांध का निर्माण कराकर सन् 1972 में नहर का निर्माण कराया गया था। सिंहपुर के अलावा ग्राम पड़रिया, नरगी, उधिया, कंचनपुर तथा रायपुर के हजारों किसानों को सिंचाई सुविधा मिलती थी। लेकिन वर्तमान में नहर की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि नहर कम और नाली ज्यादा लगती है। 90 के दशक में सिंचाई विभाग द्वारा पूरी नहर को सीमेंटेड कराकर पक्की बनाने का कार्य शुरु कराया गया था। कुछ किलोमीटर पक्का निर्माण में लाखों रुपए खर्च किए गए। लेकिन पूरी नहर पक्की नहीं हो सकी। नतीजा यह है कि नहर में पानी खोलते ही नहर की मेढ़ टूटने लगती है। अनगिनत स्थानों से नहर टूट चुकी है। बरसात के दिनों में नहर में पानी भरते ही पानी नए स्थान से रास्ता बना लेती है। जिन स्थानों पर पक्का निर्माण हुए थे वे भी गायब हो चुके हैं।

बांध में स्टोर नहीं होता पानी
नहर की खस्ताहाल के साथ बांध की हालत भी जर्जर हो चुकी है। बांध में नदी के पानी के बहाव के साथ कापू व रेत की भरमार हो चुकी है। बांध में पानी का ठहराव ही नहीं हो पाता। जल उपभोक्ता संस्था का कहना है कि पानी स्टोर करने का एक मात्र तरीका बांध की सफाई अथवा नया बांध निर्माण ही हो सकता है। किसान रामसुफल यादव, जनार्दन शुक्ला, कुबेर शुक्ला, अशोक श्रीवास्तव, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि अच्छी बरसात के बाद भी बांध में नहीं रुकता। बरसात अच्छी नहीं होने पर पहले नहर से पानी मिल जाता था तो फसल बेहतर हो जाती थी, लेकिन अब बरसात के दिनों में रोपा लगाने लायक तक पानी नहीं मिल पाता।

पूरी नहीं हुई सीएम की घोषणा
जल उपभोक्ता समिति तथा ग्रामीणों की ओर से मुख्यमंत्री उस समय ज्ञापन दिया गया था, जब लोक सभा चुनाव होने वाले थे। सीएम ने एक वर्ष में नहर के जीर्णोद्धार हो जाने का भरोसा दिलाते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन वह घोषणा आज तक पूरी नहीं हुई। बताया गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा कई साल पहले तक नहर की मरम्मत के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य कुछ भी नहीं हुआ। जल उपभोक्ता संमिति के अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह ने जन आशीर्वाद यात्रा में आए सीएम से नहर की मरम्मत व नया बांध बनाने की मांग की है। इस संबंध में जब कार्यपालन यंत्री डीआर आकरे से चर्चा का प्रयास किया गया तो उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।

करेंगे प्रयास
जर्जर सिंहपुर नहर के जीर्णोद्धार को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा था। आज भोपाल जा रही हूं, मुख्यमंत्री व विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर परियोजना को जीवित करने का प्रयास किया जाएगा। 
प्रमिला सिंह, विधायक

Created On :   7 Aug 2018 8:39 AM GMT

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