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खुद ही पैरवी करने अदालत पहुंचा लॉ का स्टूडेंट, कोर्ट ने पूछा - वकील कहां है
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सोमवार को एक लॉ विद्यार्थी खुद अपनी पैरवी करने पहुंच गया। सौरभ तेलगोटे नामक इस छात्र को मुंबई विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज में अपना प्रवेश स्थानांतरित करना है। वह मौजूदा समय में अकोला के गोयनका लॉ कॉलेज में तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में पढ़ रहा है। उसे तीसरे वर्ष के लिए अपना प्रवेश स्थानांतरित करना था, लेकिन संबंधित संस्थाओं से उसे इसकी अनुमति नहीं मिल रही थी। ऐसे में छात्र ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की, लेकिन मुकदमे के लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया। उसने कोर्ट रजिस्ट्री से खुद अपना पक्ष रखने की तैयारी दिखाई। उसने रजिस्ट्री पर कुछ आरोप भी किए। सोमवार को सुनवाई के दौरान न्या.सुनील शुक्रे और न्या.अविनाश घारोटे की खंडपीठ ने उसे फटकार लगाई। सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने छात्र से कहा कि उसे मुकदमे की पैरवी के लिए वकील नियुक्त करना चाहिए, ताकि सुनवाई व्यवस्थित ढंग से चल सके, लेकिन छात्र ने इस पर सहमति नहीं जताई। इसके बाद कोर्ट ने जब उसके मामले को सुना तो उस याचिका में कई तकनीकी खामियां नजर आई। याचिका में जरूरी संस्था को प्रतिवादी नहीं बनाया गया, प्रार्थना में भी कई गलतियां मिलीं। छात्र फिर भी इस बात पर अड़ा रहा कि कोर्ट जल्द से जल्द उसके स्थानांतरण का आदेश जारी करे, वरना उसका साल बर्बाद हो जाएगा। लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि प्रतिवादियों का पक्ष सुने बगैर मामले में कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। कोर्ट ने इस प्रकरण में अब छात्र को वकील के साथ आने को कहा है। आर्थिक अड़चन होने पर विधि सेवाओं का उपयोग करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने तहसीलदार की याचिका खारिज की
वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (मैट) के 22 अक्टूबर के उस आदेश को सही माना है, जिसके तहत मैट ने 13 प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया था। कामठी तहसीलदार के पद को लेकर विवाद हाईकोर्ट में पहुंचा था। 30 मार्च को कामठी के तत्कालीन तहसीलदार अरविंद हिंगे ने राज्य सरकार से उन्हें नागपुर स्थानांतरित करने की विनती की थी। इसके बाद सिंदेवाही तहसीलदार गणेश जगदाले ने भी अपने सिंदेवाही से कामठी स्थानांतरण की विनती सरकार से की। राज्य सरकार ने इस पर फैसला लिया। हिंगे को नागपुर की जगह भंडारा के लाखनी में पोस्टिंग दे दी और जगदाले को कामठी भेजा गया। लेकिन सरकार के फैसले से नाराज हिंगे और ऐसे ही 13 प्रशासनिक अधिकारियों ने मैट में याचिका दायर की, जिस पर 22 अक्टूबर को मैट ने उक्त निर्णय दिया। इससे जगदाले के हित प्रभावित हो गए। उन्होंने हाईकोर्ट मंे मैट के आदेश को चुनौती दी।सरकारी वकील निवेदिता मेहता ने कोर्ट को बताया िक मैट द्वारा 22 अक्टूबर के आदेश पर राज्य सरकार ने अमल कर लिया है। हिंगे समेत सभी संबंधित अधिकारियों को उनके मूल स्थान पर ही रखा गया है। ऐसे में मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने माना है कि मैट ने उस वक्त के सभी मुद्दों पर गौर करके ही निर्णय लिया था, इसे सरकार अमल में भी ला चुकी है। इसमें हाईकोर्ट के दखल देने की जरूरत नहीं है। सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
Created On :   22 Dec 2020 4:09 PM IST