- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- वकील का दावा - काल्पनिक आधार बना कर...
वकील का दावा - काल्पनिक आधार बना कर मलिक को किया जा रहा बदनाम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। संलिप्तता की आड़ में कल्पानिक आधार बना कर पुलिस प्राधिकरण ऐसे चेहरे को बदनाम नहीं कर सकती है जिसे वह पसंद नहीं करती है। पिछले 16 दिनों से सलाखों के पीछे कैद राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने अपने वकील के माध्यम से बांबे हाईकोर्ट में यह दावा किया। इसके साथ ही मंत्री मलिक ने कोर्ट से अंतरिम आदेश जारी कर उन्हें जेल से रिहा करने का निर्देश देने का आग्रह किया। यहां पुलिस प्राधिकरण का संदर्भ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से है। क्योंकि ईडी ने मंत्री मलिक के मनीलांड्रिग व माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम से कथित संबंधों के आरोपों की जांच करते हुए कार्रवाई करते हुए उन्हें 23 फरवरी 2022 को गिरफ्तार किया था। मलिक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि पुलिस अथारिटी काल्पनिक आधार पर किसी ऐसे चेहरे को जिसे वह पसंद नहीं करती है, उसे मिलीभगत की आड में संगठित अपराध में उसकी भूमिका को नहीं दर्शा सकती है। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने मंत्री मलिक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मंत्री मलिक ने ईडी द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को अवैध व मौलिक अधिकारों का हनन बताया है और खुद के खिलाफ दर्ज मामले व विशेष अदालत की ओर से हिरासत में भेजने के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
दो दशक पहले खरीदी थी वह जमीन
सुनवाई के दौरान श्री देसाई ने कहा कि जिस संपत्ति के लेन-देन की ईडी जांच कर रही है उसे मेरे मुवक्किल (मलिक) ने वैध तरीके से दो दशक पहले खरीदी थी। किंतु अब मेरे मुवक्किल सिर्फ इसलिए परेशान हो रहे हैं क्योंकि जमीन की मूल मालिक मुनिरा प्लंबर ने अपना मन बदल लिया है। प्लंबर ने जमीन को बेचने के लिए एक शख्स को पावर ऑफ अटार्नी दी थी। इसी व्यक्ति से मलिक ने जमीन खरीदी थी। देसाई ने कहा कि मेरे मुवक्किल 16 दिन जेल में बीता चुके हैं। इसलिए अंतरिम आदेश जारी कर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया जाए। इसके बाद किसी भी दिन हम पूरे मामले की विस्तार से सुनवाई को तैयार हैं। ईडी के मुताबिक कुर्ला में मलिक ने एक साजिश के तहत जो संपत्ति खरीदी है वर्तमान में उसका बाजार भाव 300 करोड रुपए है।
सुनवाई के दौरान देसाई ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने वैध तरीके से संपत्ति खरीदी है। चूंकि अब जमीन की मूल मालिक कह रही है कि उन्होंने जमीन को बेचने के लिए 22 साल पहले पंजीकृत की गई पावर ऑफ अटार्नी नहीं दी थी तो क्या इसके लिए मेरे मुवक्किल को अगले पांच साल जेल में रहना पड़ेगा। खंडपीठ के सामने गुरुवार को भी इस याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी।
Created On :   9 March 2022 7:01 PM IST