मनपा आयुक्त के बंगले की लीकेज छत प्लास्टिक से कवर करनी पड़ी

Leakage roof of Municipal Commissioners bungalow had to be covered with plastic
मनपा आयुक्त के बंगले की लीकेज छत प्लास्टिक से कवर करनी पड़ी
फाइलें हो गई गायब मनपा आयुक्त के बंगले की लीकेज छत प्लास्टिक से कवर करनी पड़ी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले पांच सालों में आयुक्त बंगले की दुरुस्ती और देखभाल के नाम पर करोड़ों रुपए का खर्च किया गया है। बरसों पुरानी इमारत की छत से रिसाव, दीवारों में प्लास्टर, पुरानी टाइल्स बदलने, शौचालय की दुरुस्ती, बंगले के नल और इलेक्ट्रिक फिटिंग की दुरुस्ती काम किया जाता रहा है। इस काम को जान-बूझकर कई हिस्सों में किया जाता था, ताकि टेंडर प्रक्रिया के बगैर काम को विशेष ठेकेदार से पूरा किया जा सके। नियमों के तहत 3 लाख रुपए से अधिक के कामों को पूरा करने के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया करना होता है। ऐसे में काम को कई हिस्सों में 50,000 के भीतर करने से टेंडर प्रक्रिया में नहीं जाना पड़ता है। इस अनियमितता को पूरा करने के बाद काम की पूरी फाइल को ही हटा दिया जाता है। यही वजह है कि पिछले पांच सालों में आयुक्त बंगले की दुरुस्ती के कोई भी दस्तावेज कार्यालय में मौजूद नहीं है। 

ऐसे निकलते हैं फर्जी दुरुस्ती बिल

नए आयुक्त के आने के बाद लोकनिर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंता पूरे बंगले का मुआयना कर खामियों का ब्योरा बनाते हैं। इस ब्योरे को आला अधिकारियों के पास लेकर मौखिक मंजूरी लेकर विशेष ठेकेदार से तीन कोटेशन मंगाकर कम दाम वाले को काम की जिम्मेदारी दी जाती है। इस कामों को पूरा करने के बाद कनिष्ठ अभियंता पूरे कामों का लेखा-जोखा कर बिल मंजूरी के लिए बनाता है। बिलों के लिए विशेष प्रावधान से तत्काल निधि को मुहैया कराया जाता है। इसके बाद ठेकेदार के खाते में रकम के जमा होते ही फाइल को कार्यालय से हटा दिया जाता है। इन कामों के लिए निर्धारित प्रावधान के बजाय आकस्मिक फंड की निधि का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में पूरी कारगुजारी का अधिकारियों को भी पता नहीं चलता है। ऐसे कामों को पूरा कर पिछले पांच साल में करोड़ों की निधि का बेजा इस्तेमाल किया गया है। इस पूरी रकम को जोड़ने पर आयुक्त के बंगले का नए सिरे से नया निर्माणकार्य पूरा किया जा सकता है।  

मनपा के लोकनिर्माण विभाग में पुरानी और नई प्रशासकीय इमारत के साथ ही आयुक्त बंगले की दुरुस्ती में खासी अनियमितता हो रही है। नियमों के तहत कोटेशन प्रावधान को बेहद अत्यावश्यक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रावधान में काम को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रस्तावित काम के लिए तीन ठेका एजेंसी की दर को आमंत्रित किया जाता है। सबसे कम दर वाली ठेका एजेंसी को मंजूरी देकर काम को पूरा किया जाता है। इस पूरे प्रावधान में अधिकतम 50,000 रुपए तक के कामों को मंजूरी दी जा सकती है। ऐसे में काम को कई हिस्सों में विभाजित कर कोटेशन प्रावधान में तब्दील कर अनियमितता को पूरा किया जाता है। कामों के पूरा होने के बाद विभाग से फाइलों को भी गायब कर दिया जाता है, ताकि अनियमितता को छिपाया जा सके। इस मामले की पूरे प्रशासन को जानकारी होने के बाद भी कोई जांच तक नहीं की गई है। 

आयुक्त के बंगले की दुरुस्ती और देखभाल के लिए 6 लाख रुपए का प्रावधान किया जाता है। इस रकम से छत, दीवार, टाइल्स की दुरुस्ती की जाती है। इसके अलावा बंगले के रंगरोगन का भी काम होता है। हालांकि इस रकम के अलावा भी आकस्मिक फंड, विशेष फंड से बंगले की दुरुस्ती और देखभाल को पूरा किया जाता है। इन दोनाें फंड समेत अन्य प्रावधान से लाखों का खर्च बंगले की देखभाल पर होता है। आयुक्त बंगले के बंगले का काम होने से कोई भी अधिकारी अथवा पदाधिकारी पूछताछ नहीं करता है। लोकनिर्माण विभाग इस काम के लिए कोई भी सालाना अनुबंध नहीं करता है। 6 लाख रुपए के बजट में से साल 2018-19 में 5,46,756 रुपए, साल 2019-20 में 2,37,316 रुपए और साल 2020-21 में 4,91,270 रुपए का खर्च किया गया है, जबकि आकस्मिक खर्च और विशेष फंड से सिविल वर्क करने का कोई भी रिकॉर्ड लोकनिर्माण विभाग के पास नहीं है। इतना ही नहीं, अधिकारी इस मामले में स्पष्ट तौर पर बोलने से भी कतरा रहे हैं।

कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं

राजेन्द्र अंबारे, उप अभियंता, स्थावर विभाग मनपा के मुताबिक बरसों पहले राज्य सरकार के लोकनिर्माण विभाग से मनपा ने बंगले का हस्तांतरण किया था। बंगले का उपयोग आयुक्त के अाधिकारिक निवास के रूप में होता है। हमारे पास बंगले के हस्तांतरण अथवा किराए को लेकर कोई भी दस्तावेज मौजूद नहीं है। बंगले की नियमित तौर पर मरम्मत और देखभाल मनपा का लोकनिर्माण विभाग करता है।  

मामूली बजट से देखभाल

कमलेश चौहान, उप अभियंता, लोकनिर्माण विभाग मनपा के मुताबिक आयुक्त बंगले की देखभाल के लिए बेहद मामूली खर्च का प्रावधान किया गया है। पुरानी प्रशासकीय इमारत, नई प्रशासकीय इमारत और आयुक्त बंगले के लिए कुल 25 लाख रुपए का प्रावधान है, इसमें से 6 लाख रुपए को आयुक्त बंगले के लिए आरक्षित रखा गया है। बंगले की नियमित तौर पर मरम्मत और देखभाल के लिए रकम बेहद कम साबित होती है।   

 

Created On :   13 Aug 2021 3:09 PM IST

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