- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- प्रभु से प्रेम करना सीखें, भवसागर...
प्रभु से प्रेम करना सीखें, भवसागर की नैया पार लग जाएगी- प्रेमधन लालनजी महाराज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जैसे आप अपने परिवार से प्रेम करते हैं, वैसे ही प्रभु से भी शुद्ध प्रेम करना सीखें। यह उद्गार पंडित प्रेमधन लालनजी महाराज ने श्री राधा कृपा परिवार व लोया परिवार की ओर से चित्रकूटधाम, रानी लक्ष्मी सभागृह, हनुमान मंदिर के पास, लक्ष्मीनगर में आयोजित रामकथा में व्यक्त किए। महाराजश्री ने कहा कि रामचरित मानस को यदि पूर्ण रूप से जानना है, तो उससे जुड़ जाओ। उसे समझने का प्रयास करो। उसके पात्रों से जुड़ो। रामचरित मानस सुनते ही उसे अनुभव करने के साथ ही देखने भी लगोगे। ठाकुर जी से शुद्ध मन से श्रद्धा के साथ प्रेम करने लगते हैं, तो वे अपने भक्त से दूर नहीं रह पाते। वे अपने भक्त की हर पीड़ा को हरने के लिए तत्पर हो जाते हैं। प्रभु के पास कोई भी पूर्ण रूप से निर्मल होकर नहीं पहंुचता, परंतु जब जीव उनके समीप पहुंचने लगता है, तो वे भी अपने भक्त को निर्मल व शुद्ध बनाने के लिए आगे आ जाते हैं। इसलिए उन्हें पतित पावन प्रभु कहा गया है।
श्री महाराजजी ने कहा कि संत महात्माओं व गुरु की संगत हमेशा ही सुखदायी होती है। प्रभु राम ने अपने गुरु का सदा ही सम्मान किया। इस मौके पर महाराजजी ने राम-जानकी विवाह का प्रसंग श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि प्रभु राम को रूप पर जानकी की सखियां मोहित हुई तो उन्होंने उन्हें भी वरदान दे दिया और अगले रूप यानी कृष्ण रूप में उन्होंने जानकी की सखी सखियों को दिया हुआ वादा निभाया। गोपियां बनकर कृष्ण का सानिध्य पाकर वे सभी धन्य हो गई। उनका जीवन सफल हो गया। जीवन में प्रभु से प्रेम रखने से प्रभु सभी मनोकामनाएँ पूरी कर पीड़ा हर लेते हैं। व्यासपीठ का पूजन यजमान लोया परिवार, बालकिशन चांडक, अशोक गांधी, अशोक पनपालिया, घनश्याम कोठारी, राधाकृपा मंडल- वर्धा, पुरुषोत्तम ताजपुरिया परिवार, वासुदेव मालू, जयदीप शाह, गोपाल चांडक, गोपाल धीरण, किशोर गोदानी, घनश्याम राठी, नंदकिशोर सारडा, प्रकाश सोनी आदि ने किया। कथा का समय शाम 4 बजे रखा गया है।
Created On :   9 Jan 2020 11:41 AM IST