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शिक्षण अधिगम सामग्री की मदद से सीखना होगा आसान
डिजिटल डेस्क, पन्ना। शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री सोच और खोज की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है। शिक्षण अधिगम सामग्री की सहायता से सीखना एवं सरल व सुगम हो जाता है तथा छात्र सरलता एवं सहजता से सीख लेते र्है और अध्यापक का शिक्षण भी प्रभावी हो जाता है। शिक्षण अधिगम सामग्री का उपयोग करते हुये विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति अभिरूचि जागृत करने के कार्य में शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के उददेश्य से राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा टीचिंग लार्निंग मटेरियल (टीएलएम) प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जा रहा है। जिसके तहत आज जिला मुख्यालय पन्ना के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट में जिला स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में हिन्दी, गणित, पर्यावरण/विज्ञान विषय की शिक्षण अधिगम सामग्री के साथ विकासखण्ड स्तर पर प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले कुल ४५ शिक्षक पहँुचे और उन्होनें जिला स्तरीय टीएलएम मेला में शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री तथा माडलों का प्रदर्शन किया गया। आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन जिला पंचायत पन्ना के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक चतुर्वेदी द्वारा किया गया। आयेजित मेलें में शिक्षकों द्वारा प्रदर्शनी के लिये रखी गई शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्णायक मण्डल में शामिल सदस्यों द्वारा अवलोकन किया गया तथा प्रत्येक विषय हिन्दी, गणित, पर्यावरण/विज्ञान के लिये प्रथम, द्वितीय स्थान के लिये शिक्षकों का चयन किया। चयनित शिक्षक संभाग स्तर पर आयोजित प्रदर्शनी में शामिल होगें। विषयों पर आधारित टीएलएम की जिला स्तरीय प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में श्रीमती कविता त्रिवेदी बीएसी, शिक्षकगण श्रीमती शोभा जैन, सुनील पाण्डेय, नीरज श्रीवास्तव, प्रहलाद साहू, दीप्ति श्रीवास्तव, मुकुल मिश्रा, कीर्ति सोनी श्रीमती ज्योति खरे प्रधानाध्यापक आदि शामिल रहे। जिला स्तरीय टीएलएम मेला जिला शिक्षा केन्द्र के नोड्ल अधिकारी अरविन्द सिंह के निर्देशन तथा एपीसी विभूति मोहन पटेैरिया के संयोजन में आयोजित हुआ। जिसमें डाईट व्याख्याता सुमनलता, संजय जडिय़ा, बीएसी कुलदीप त्रिवेदी, सीएसी अशोक विश्वकर्मा, संजय सोनी, अजय चतुर्वेदी, इरशाद खांन आदि ने सहयोग प्रदान किया।
कबाड़ से जुगाड़ कर बनाया सौर मण्डल
जनशिक्षा केन्द्र ककरहटी की माध्यमिक शाला सकरिया में पदस्थ शिक्षक नये बच्चों को तारे और सौरमण्डल की जानकारियों को समझाने के लिये कबाड़ सामग्री पुरानी गेंदों, कलर थम्रोकोल सीट प्लास्टिक सीट, पुरानी खराब मोटर का उपयोग कर सौर मण्डल का माडल तैयार किया। शिक्षिका ने बताया कि बच्चें जिज्ञासु होते है और माडल को देखकर तारे और सौरमण्डल को लेकर बनने वाले सवालों के उत्तर माडल देखकर ही समझ जाते है।
जल संरक्षण की बताई जरूरत
शाहनगर विकासखण्ड के हाई स्कूल बुधरौड़ में पदस्थ शिक्षक ने वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम के माडल के जरिये बताया कि जल संरक्षण बेहद ही जरूरी है। वर्षा जल को संचित करना चाहिये उन्होनें अपने माडल में घरों में पानी की टंकी फुल होने के बाद पानी की बर्बादी रोकने के लिये वार्निग अर्लाम तथा शॉटशर्किट या आग लगने पर सुरक्षा संकेत का प्रदर्शन किया। माध्यमिक शााला नंदनपुर अजयगढ़ के शिक्षक अरविन्द कुमार पाण्डेय ने बताया कि वह वृत्ताकार चकती के माध्यम से बच्चों कों विभिन्न ज्यामिति आकृतियों को आसानी से समझा पाते है। बच्चों को यदि सहायक सामग्रियों का प्रयोग कर समझाया जाये तो उनमें गणित जैसे विषय पर अभिरूचि जागृत होती है।
संभाग स्तरीय प्रतियोगिता के लिये चुने गये ०९ शिक्षक
जिला स्तरीय टीएलएम प्रतियोगिता में शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री का प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों में से हिन्दी विषय की प्रस्तुत सहायक शिक्षण सामगी के प्रदर्शन पर शिक्षक संदीप पाण्डेय प्राथमिक शाला शंकरपुरा गुनौर को प्रथम, रामू लाल चक्रवर्ती माध्यमिक शााला बीजाखेड़ा शाहनगर को द्वितीय, श्रीमती आरती त्रिपाठी माध्यमिक शाला मड़ला पन्ना को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। गणित विषय में शालनी अग्रवाल हाईस्कूल बख्तरी को प्रथम स्थान,अरविन्द पाण्डेय माध्यमिक शाला नंदनपुर अजगढ़ को द्वितीय, शिवसागर प्राथमिक शाला हिनौता पवई को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। विज्ञान/पर्यावरण विषय में श्रीमती प्रियदर्शनी सक्सेना पवई को प्रथम, जीतेन्द्र कुमार राजपूत पवई ब्लॉक को द्वितीय, पियूषा वैध सकरिया पन्ना को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। विजेता शिक्षकों को डाईट पन्ना के सेवानिवृत्त प्राचार्य रमजान खांन द्वारा प्रशास्ति पत्र प्रदान किये गये। सभी विजेता ०९ शिक्षक संभाग स्तरीय प्रतियोगिता के लिये चयनित किये गये है।
एक चूल्हे से एक साथ तीन काम
पवई विकास खण्ड की शासकीय कन्या माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षक अनिल खरे ने तैयार किया गयाा मल्टीचूूल्हा प्रदर्शनी में रखा और बताया कि ईधन की बचत जरूरी है। मल्टीचूल्हे से एक साथ भोजन के पकनें के साथ ही गरम पानी और भाप से डिस्टल वाटर बनने की प्रक्रिया बताई गई। उन्होनें मल्टीचूल्हे से जहां ऊर्जा की बचत समझी जा सकती है वही इसके जरिये माडल वह स्कूल में अपने बच्चों को वाष्पन संघन्न की क्रिया। द्रवों में ऊष्मा का प्रसार की संवहन विधि तथा जलचक्र की क्रियायें आसानी से समझा सकतें है। ७
Created On :   15 March 2022 11:36 AM IST