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पोस्टकार्ड में लिखा खत, मंत्री को सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
डिजिटल डेस्क, पन्ना। महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्य करने वाले सीडीपीओ तथा पर्यवेक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कलमबंद हडताल पर हैं। चल रही प्रदेश स्तरीय हडताल में जिले की पांचों परियोजनाओं में पदस्थ सीडीपीओ तथा सुपरवाईजरों द्वारा अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया। उन्होंने अपनी मांगों के संबध में पोस्टकार्ड में मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा और इसकी सामूहिक तस्वीरें लेकर मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया गया। इसके साथ ही साथ हडताल पर उतरे सीडीपीओ तथा सुपरवाईजरों ने पन्ना विधायक तथा प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री बृजेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह से मुलाकात कर अपनी मांगों का मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा गया तथा कहा कि सीडीपीओ तथा सुपरवाईजरों की मुख्य मांगे पिछले २५ वर्षों से लंबित हैं। सीडीपीओ तथा सुपरवाईजरों का संयुक्त संघ मांगों को लेकर लगातार सरकार विभिन्न माध्यमों से ध्यान आकषित करते आ रहा है परंतु आश्वासन के बाद भी अभी तक मांगें पूरी नहीं हुई हैं जिससे कलमबंद हडताल करने के लिए सीडीपीओ तथा सुपरवाईजर मंजूर हुए हैं।
सीडीपीओ की यह है मुख्य मांगे
सीडीपीओ, सुपरवाईजर की लंबित मांगों के संबध में संघ के संभागीय अध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना अधिकारियों का ग्रेड पे ३६०० से बढाकर ४८०० रूपए किए जाने का प्रस्ताव विभागीय मंत्री द्वारा वर्ष २०१८ में अनुमोदित किया गया था जोकि वित्त मंत्रालय में लंबित हैं। परियोजना अधिकारियों को सामान्य प्रशासन, पुलिस विभाग, वित्त विभाग की तरह चार स्तरीय टाईम स्केल दिया जाना चाहिए। परियोजना अधिकारियों को पूर्व में आहरण, संवितरण अधिकार प्राप्त थे जिनका केन्द्रीयकरण करते हुए जिला अधिकारियों को आहरण संवितरण संबधी अधिकार दे दिए गए हैं। जबकि देश के अन्य सभी राज्यों में आहरण संवितरण अधिकारों के संबध में भारत सरकार की गाईडलाईन अनुसार परियोजना अधिकारियों को आहरण संवितरण का अधिकार प्राप्त है और प्रदेश में भी आहरण संवितरण अधिकार परियोजना अधिकारियों को दिण जाना उचित होगा। विकासखण्ड स्तर पर सशक्तिकरण अधिकारी का पद है परंतु उसके साथ प्रभारी जोडा गया है जिसे हटाया जाये। विकासखण्ड महिला सशक्तिकरण अधिकारी के स्वीकृत ३१३ पदों को समर्पित करके उतनी ही राशि से हर जिले में सहायक संचालक ट्रेनिंग के पद स्वीकृत किए जायें।
सुपरवाईजरों का ग्रेड-पे प्रदेश में सबसे कम
सुपरवाईजरों की मांगों को लेकर बताया गया कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में सुपरवाईजरों का ग्रेड-पे जोकि २४०० रूपए है सबसे कम है। ग्रेड-पे को ३४०० से बढाकर ३६०० रूपए किया जाना चाहिए। पर्यवेक्षकों के ग्रेड-पे ३६०० रूपए किए जाने का विभागीय अनुमोदित प्रस्ताव वर्ष २०१८ से वित्त मंत्रालय में लंबित है। पर्यवेक्षकों को नियमित प्रमोशन करके परियोजना अधिकारी के रिक्त पद भरे जायें। पिछले तीस वर्षों से अनेक पर्यवेक्षक एक ही पद पर कार्य रहे हैं। पर्यवेक्षकों को सेवाकाल में चार प्रमोशन दिए जायें। वर्ष २००७ से २०१० के बीच व्यापम परीक्षा से संविदा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई थी उसके बाद से संविदा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति बंद कर दी गई है ऐसी स्थिति में प्रदेश में शेष बचे संविदा पर्यवेक्षकों जोकि दस वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाये। पर्यवेक्षकों को प्रतिमाह भ्रमण के आधार पर टीए-र्डीए प्रदान किया जाये।
Created On :   23 March 2022 10:38 AM IST