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दवाईयों और टॉयलेट क्लीनर बनाने के लिए लायसेंस फीस बढ़ी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। दवाईयां एवं टॉयलेट क्लीनर बनाने के लिए रेक्टिफाईड स्प्रिट रखने की लायसेंस फीस बढ़ा दी गई है। दरअसल जीएसटी लागू होने पर मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिप्रेशन एक्साईज ड्यूटी एक्ट खत्म हो गया है इसलिए प्रदेश में जो लोग दवाईयों एवं टॉयलेट क्लीनर बनाने में रेक्टिफाईड स्प्रिट (शराब बनाने में भी उपयोग होता है) का उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग के आबकारी कार्यालय ने नए नियम बना दिए हैं जिसके तहत अब निर्माताओं को नए प्रारुप में रेक्टिफाईड स्प्रिट अपने कारखाना परिसर में रखने के लिए लायसेंस लेना होगा।
पहले रेक्टिफाईड स्प्रिट रखने का लायसेंस मात्र 100 रुपए में मिल जाता था,,लेकिन अब नए नियमों के तहत निर्माताओं को 10 हजार रुपए शुल्क अदा करना होगा। आबकारी कार्यालय के सहायक आयुक्त या जिला आबकारी अधिकारी यह लायसेंस प्रदान करेंगे, लेकिन लायसेंस देने से पूर्व वे संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मप्र या संचालक उद्योग मप्र से परामर्श लेंगे तथा उसके बाद ही लायसेंस जारी करेंगे। इस फीस के अलावा निर्माता को रेक्टिफाईड स्प्रिट हेतु शासकीय कोषालय में 100 रुपए जमानत के रुप में तथा 1 हजार रुपए बंधपत्र के साथ भी जमा कराना होंगे।
नए नारकोटिक्स रुल्स के तहत भी लेना होगा लायसेंस
प्रदेश के ऐसे निर्माता जो औषधि के निर्माण में अफीम, मार्फिन, कोकेन आदि नशीली वस्तुओं का उपयोग करते हैं, उन्हें भी अब ये नशीला वस्तुएं अपने कारखाना परिसर में रखने के लिए लायसेंस लेना होगा। इसके लिए भी आबकारी कार्यालय ने नए नियम बना दिए हैं। दरअसल पहले उन्हें ऐसा लायसेंस नहीं लेना पड़ता था और वे औषधि निर्माण के लायसेंस से ही इन नशीली वस्तुओं का विनिर्माण, कब्जा और बिक्री कर लेते थे, लेकिन ये नशीली दवाएं उनके कारखाना परिसर में स्टोर की जा सकें, उनका निर्माण में उपयोग हो सके और उसका विक्रय किया जा सके, इसके लिए भी उन्हें अब उन्हें इसका लायसेंस लेना होगा।
अपर आबकरी आयुक्तआईपी सिंह का कहना है कि नए रेटिफाईड स्प्रिट और नारकोटिक्स रुल्स जारी किए गए हैं जिनके तहत इनका उपयोग दवाओं आदि में करने वालों को लायसेंस लेना होगा।
Created On :   9 Jan 2018 3:26 PM IST