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पानी की किल्लत से प्रभावित गांवों में टैंकरों से पहुंचेगा साफ पानी, सूखे जैसी स्थिति
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पेयजल संकट वाले गांवों में मंजूर प्रारूप के अनुसर कुएं व नल दुरुस्ती को प्राथमिकता देकर जलापूर्ति की जाए और इससे भी पानी की मांग पूरी नहीं हो, तो टैंकरों से शुद्ध पानी की जलापूर्ति करने के निर्देश जिलाधीश अश्विन मुद्गल ने दिए हैं। जिले में 33 गांवों में 54 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। इनमें कामठी तहसील के 9, हिंगना के 12 और नागपुर ग्रामीण के 23 टैंकरों से पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है। टैंकरों से जलापूर्ति करते समय जंतु रहित जलापूर्ति करने की जिम्मेदेरी गटविकास अधिकारी की रहेगी। जलापूर्ति में लगे सभी टैंकरों पर जीपीआरएस सिस्टम लगाए बिना टैंकर ठेकेदारों को बिल का भुगतान नहीं करने कि निर्देश जिलाधीश ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि, भू-गर्भ का पानी जंतु रहित करने के बाद ही जलापूर्ति की जाए। पानी किल्लत कृति प्रारूप के अनुसार 995 गांवों में 1,285 उपाय योजनाओं को मंजूरी दी गई है, इसके लिए 25 करोड़ 98 लाख रुपए का खर्च आएगा। पानी किल्लत कृति प्रारूप के अनुसार 995 गांवों में 1,285 उपाय योजनाओं को मंजूरी दी गई है, इसके लिए 25 करोड़ 98 लाख रुपए का खर्च आएगा। मंजूर प्रारूप के अनुसार 10 उपाययोजना लागू की गई हैं और आगामी आठ दिनों में यह योजना प्राथमिकता से पूर्ण करने के निर्देश जिलाधीश ने दिए हैं।
जहां एक ओर भीषण गर्मी में जहां पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। वहीं वानाडोंगरी में बारह माह पानी से लबालब रहने वाले कुएं को ही एक स्कूल प्रबंधक द्वारा मुरुम डालकर बुझा देने का मामला सामने आया है। इस मामले में वानाडोंगरी नगर परिषद की शिकायत पर स्कूल व्यवस्थापक सहित तीन लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार प्रभाग-8 में स्थित रिजंेट स्कूल के व्यवस्थापक, अधिकारी व कर्मचारियों ने स्कूल आने-जाने के लिए दूसरा रास्ता बनाने के उद्देश से ले-आउट में स्थित कुएं को ही मुरुम डालकर बुझा दिया। इस प्रकरण में नगर परिषद की शिकायत पर स्कूल व्यवस्थापक, मुख्याध्यापक व हॉस्पिटलिटी मैनेजर के खिलाफ एमआईडीसी पुलिस ने शनिवार को मामला दर्ज कर लिया। गौरतलब है कि इस मामले में शुक्रवार को सुबह नप कार्यलाय में उपाध्यक्ष कृपाशंकर गुप्ता, पानी आपूर्ति सभापति बालू मोरे, िनयोजन सभापति आबा काले, बांधकाम सभापति नीतेश साखले, नगरसेवक अनिता गुप्ता, सविता डाखले ने मुख्याधिकारी प्रवीण मानकर को निवेदन सौंपकर कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी। कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। इस शिकायत पर मुख्याधिकारी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए आरोपियों को 24 घंटे के भीतर कुआं साफ कर जलस्रोत सुचारू करने का निर्देश दिए थे। स्कूल व्यवस्थापक ने स्कूल के लिए यहां दो खसरे लिए थे। इस दोनों के बीच से सरकारी पगडंडी भी है, लेकिन स्कूल व्यवस्थापक ने कुछ लोगों से सांठ-गांठ कर पगडंडी पर कब्जा जमा लिया है। इस मामले में भी स्कूल व्यवस्थापक पर कारवाई की तलवार लटक रही है। बता दें कि, रिजेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल से सटे ले-आउट में पुरातनकालीन कुआं है। इस कुएं में भीषण गर्मी में भी पर्याप्त पानी रहता था। ले-आउट में रहने वाले लोग और आस-पास के खाली प्लाट पर कच्चे झोपड़े बनाकर रहने वाले गरीब लोग इसी कुएं के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे। साथ ही घरों में इसी पानी का उपयोग होता था, लेकिन इस कुएं को मुरुम डालकर बुझा देने से लोग पिछले तीन दिनों से पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इसे गंभीरता से लेकर मुख्याधिकारी मानकर ने स्कूल व्यवस्थापक, मुख्याध्यापक और हॉस्पिटलिटी मैनेजर रेखराम रंधई को 24 घंटे के भीतर इस कुएं को साफ करने के निर्देश दिए, लेकिन इन पर इस निर्देश का कोई असर नहीं हुआ। जिसके चलते शनिवार को एमआईडीसी थाने में इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
राज्य में 150 से ज्यादा तहसील अकालग्रस्त हैं। काटोल-नरखेड़ तहसील में जलस्तर 1200 फीट नीचे गया है। यह क्षेत्र संतरे का है। जो देश में कैलिफोर्निया के नाम से प्रसिद्ध है। कई वर्षों से भूमि से पानी निकाला गया। जिससे जलस्तर घटने लगा है। काटोल- नरखेड़ तहसील अकाल के लिए डार्क बेल्ट माना जाता है। प्रतिदिन 35 से 40 हजार लोग श्रमदान से जलसंवर्धन का कार्य कर रहे हैं। भविष्य में समस्त ग्राम में जलसंवर्धन की अावश्यकता है। यह विचार पूर्व विधायक डा. आशीष देशमुख ने व्यक्त किए। पानी फाउंडेशन वाटर कप स्पर्धा, रानवाड़ी में आयोजित कार्यक्रम में डा. आयुश्री देशमुख, कृषि सहायक प्रशांत वानखेड़े, सचिन बेहनिया, मोहन पांडे, विनोद तुरक, विक्रम बासेवार, जनार्धन खजुरिया आदि उपस्थित थे। श्रमदान से जलसंवर्धन के कार्य हो रहे है। श्रमदान से 105 शौच गड्ढे, 2000 रोपवाटिका, 110 मिट्टी परीक्षण, 48 जल बचत का तकनीsकी ज्ञान, जलमापक यंत्र 5, गैबियन बांध 6, नाला गहराईकरण 4 किमी, ढाली के बांध 120 हेक्टेयर, खेत तालाब 14, श्रमदान 2,230 घन मीटर, मशीन काम 29,720 घनमीटर में जनसहयोग से होने का लक्ष्य है। प्रारंभ में बैलगाड़ी रैली निकाली गई। प्रस्तावना सचिन बेहनिया ने रखी। सफलतार्थ जितेंद्र पाटील, शिवदास पड़ोलिया, नरेंद्र दाउतपुरे, अभिषेक बेहनिया, अशोक जुगसेनिया, मीरा खरपुरिया, शशिकला बेहनिया, बाबाराव मुरोजिया आदि ने प्रयास किया।
उधर काटोल तहसील में सूखाग्रस्त जैसी स्थिति बन जाने के बावजूद राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन राहत कोष से मुआवजे का भुगतान सही ढंग से नहीं हो पाया। कुएं, हैंडपंप का जलस्तर घटने के साथ ही जाम मध्यम प्रकल्प में मात्र चार प्रतिशत ही पानी शेष है। इससे किसानों तथा आम नागरिकों के हाल बेहाल है। आपदा प्रबंधन राहत कोष से मुआवजे की राशि तथा बोंडइल्ली प्रकोप का मुआवजा किसानों को नहीं मिल पाया। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन किए गए। पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के नेतृत्व में आंदोलन के बाद जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बैठक ली, लेकिन कोई उचित उपाय योजना नहीं हो पाई।
कोंढाली-मेटपांजरा सर्कल की स्थिति बेहद दयनीय
कोंढाली-मेटपांजरा सर्कल की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। इस वर्ष क्षेत्र में सिर्फ 360 मिमी ही बारिश हुई। इससे संतरा, फूल, साग सब्जी बागान तथा दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों व नागरिकों को कुओं के घटते जलस्तर के चलते पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। आपदा निवारण विभाग द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्र को सहयोग करने की मांग जिप सदस्य रामदास मरकाम, कोंढाली के सरपंच केशवराव धुर्वे, उपसरपंच स्वप्निल व्यास, ज्येष्ठ ग्रापं सदस्य संजय राऊत, पूर्व सदस्य याकूब पठान, नजीर शेख, गफ्फार शेख आदि ने की है।
कलमेश्वर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में बीते दो महीनों से लगातार जलसंकट बढ़ने से परिसर के सभी छोटे-बड़े कारखाना मालिकों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। समय पर पानी नहीं मिलने से उत्पादन पर भारी असर पड़ा है। पानी की कमी से कई कारखानों में दूसरी शिफ्ट बंद कर दी गई। कलमेश्वर एमआईडीसी एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर मोहिते ने पानी की बढ़ती समस्या पर गहरी चिंता जताई। कलमेश्वर से 10 किलोमीटर दूर अमरावती महामार्ग पर बने वेणा जलाशय से कलमेश्वर एमआईडीसी की औद्योगिक कंपनियों को पानी सप्लाई होता है। इस साल कम बारिश से जलाशय में जलसंचयन कम होने से समस्या उत्पन्न हो रही है। कलमेश्वर परिसर में बने छोटे- बड़े कारखानों को रोजाना सभी कारखानों को 24 घंटे पानी मिलता था। अब पानी की समस्या बढ़ जाने से 12 घंटे ही पानी सप्लाय हो रहा है। जलसंकट से छोटे- छोटे कारखाने धीरे- धीरे बंद होने की कगार पर पहुंचने की जानकारी एमआईडीसी एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिते ने दी। इस संबंध में नागपुर जलसंपदा कार्यालय में बात करने पर जलसंपदा विभागीय अधिकारी सहायक अभियंता सोनाली चोपड़े ने बताया कि, हमने दो महीने पूर्व ही कलमेश्वर औद्योगिक कार्यालय से सभी कंपनियों को पत्रक देकर पानी की समस्या के बारे में अवगत करा दिया था। साथ ही अपनी-अपनी कंपनियों में पानी एकत्रित करने और पर्यायी व्यवस्था करने की जानकारी नोटिस देकर दी गई थी। इससे पहले ऐसा जलसंकट 2007-08 में उत्पन्न हुआ था। कटौती करने से पूरे मई महीने तक पानी मिलता रहेगा। अगर समस्या बढ़ी तो तालाब के अंदर और गहरे गड्ढे कर पानी निकालने की योजना पर विचार चल रहा है। साथ ही अन्य ठोस कदम उठाए जाने की जानकारी विभागीय अधिकारी ने दी। कलमेश्वर एमआईडीसी एसोसिएशन के सचिव लियाकत अली, युवराज चौधरी, जेएसडब्ल्यू के एच.आर.शेखर भारद्वाज ने अधिकारियों को जानकारी दी कि, समय के साथ कोई कदम नही उठाए तो कंपनियां बंद हो जाएगी उसका परिणाम कामगारों पर पड़ने के साथ ही बेरोजगारी बढ़ने के आसार बढ़ रहे है।
वाड़ी, वानाडोंगरी, मोवाड़, कलमेश्वर में जलापूर्ति के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। वाड़ी में 14 कुएं व 14 कूपनलिका से जलापूर्ति हो रही है। अंबाझरी तालाब से पानी करने के लिए पर्यायी व्यवस्था की गई है। पीने के पानी की शुद्धता की जांच करने के बाद ही पानी की आपूर्ति करने के निर्देश भी जिलाधिकारी ने दिए हैं। पीने के पानी की किल्लत पर बने प्रारूप पर अमल के लिए गटविकास अधिकारी, नोडल अधिकारी रहेंगे। नगर पालिका क्षेत्र में मुख्याधिकारी पर पूरी जिम्मेदारी होगी। उपविभागीय राजस्व अधिकारी नियंत्रण अधिकारी हैं और उनको हर आठ दिन में किल्लत प्रारूप के अनुसार हो रहे अमल की समीक्षा कर तत्संंबंधी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजने के निर्देश दिए।
Created On :   5 May 2019 6:13 PM IST