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सीमा लांघ रहा प्रदूषण, ऑन लाइन मॉनीटरिंग की तैयारियों में जुटा विभाग
डिजिटल डेस्क शहडोल । बड़े शहरों की तर्ज पर संभागीय मुख्यालय शहडोल का वातावरण तेजी से दमघोटू प्रदूषण की ओर बढ़ रहा है। बढ़ती आबादी के साथ वाहनों की रेलमपेल शहर की स्वच्छ फिजां को दूषित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब ऑन लाइन मॉनीटिरिंग सिस्टम प्रणाली लगा रहा है, जिससे आम आदमी को भी बढ़ते प्रदूषण का अहसास हो। साथ ही संबंधित प्रशासन सजग होकर दूषित हो रहे वातावरण को बचाने की ओर प्रयास कर सके। धूल रहित सड़कों की कल्पना साकार होना अभी दूर की कौड़ी हैं जो प्रदूषण के लिए वरदान साबित हो रहा है। प्रदूषण विभाग की मानें तो शहडोल शहर का मुख्य कमिर्शियल इलाका गांधी चौक, इंदिरा चौक, बस स्टैण्ड एवं सम्पूर्ण बाजार की फिजां ने प्रदूषण की तय सीमा लगभग पार कर दिया है। यदि इसे सही माना जाय तो वह दिन दूर नहीं जब शहडोल शहर भी बड़े शहरों की तर्ज पर प्रदूषण के मामले में डेंजर जोन बन जाएगा।
अभी यह है स्थिति
जिस माहौल में हम सांस लेते हैं उनमें धूल के कण सहित विभिन्न प्रकार की ऐसी गैसें होती हैं जिनका स्तर बढऩा स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेय होता है। प्रदूषण स्तर की नियमित जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर के दो स्थानों यातायात पुलिस थाना तथा स्वयं के कार्यालय मेंं यंत्र स्थापित कराया गया है। जिसमें हवा के साथ घुले धूल के कण, सल्फर डायआक्साइट तथा नाइट्रोजन ऑक्साइट को मापा जाता है। इसका मापन माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर है। विभाग द्वारा जुटाए जा रहे आंकड़ों के अनुसार यातायात विभाग अस्पताल के आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जहां धूल के कणों का स्तर 80 से 100 प्रति घनमीटर को पार करते हुए 100 से 130 तक जा पहुंचा है। सल्फर डायऑक्साट मानक स्तर 15 से 19 तक तथा नाइट्रोजन ऑक्साइट 25 से 35 तक जा पहुंचा है। जबकि प्रदूषण बोर्ड कार्यालय के मापक यंत्र में स्तर लिमिट के अंदर है। यानि बाजार एरिया का प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इसी प्रकार ध्वनि प्रदूषण की लिमिट 65 डेसिबल है जो गांधी चौक इलाके में 72-76 तक पहुंच चुका है।
इसलिए फैल रहा प्रदूषण
प्रदूषण बढ़ाने में सबसे अधिक कारण तकनीकी चीजों का अंधाधुध उपयोग को माना जा रहा है। वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिनसे निकलने वाला धुंआ वातावरण में घातक रसायन फैल रहे हैं। बड़े शहरों में वाहन सड़क पर उतारने के पूर्व पीयूसी प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया है जिसे प्रदूषण विभाग जारी करता है। वहीं होटलों आदि से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण को बढ़ाने वाला होता है। वहीं सड़कों से वाहनों के चलने समय उडऩे वाली डस्ट सीधे वातावरण में जाता है। जिस पर कंट्रोल होना चाहिए। प्रदूषण स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकता है। डॉ. धर्मेंद्र द्विवेदी का कहना है कि प्रदूषण किसी भी प्रकार को इंसान के स्वास्थ्य पर गलत असर डाल सकता है।
अब होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंग
प्रदूषण स्तर की 24 घंटे मॉनीटरिंग के साथ आम जनों को जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा आज लाइन परिवेशीय गुणवत्ता परिमापन सिस्टम लगाने की योजना बनाई गई है। शहर के तीन स्थानों कलेक्ट्रेट परिसर, रेलवे अथवा बस स्टैण्ड तथा प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में उच्च गुणवत्ता के सिस्टम लगाए जाएंगे। धूल के कण तथा विभिन्न प्रकार के गैसों को डिस्प्ले किया जाएगा। कोई भी जान सकेगा कि वे कितने प्रदूषित स्तर में सांस ले रहे हैं। निर्धारित पैमाने से ऊपर होने पर संबंधित विभागों को अलर्ट किया जायेगा कि अब प्रदूषण को रोकें।
Created On :   16 April 2018 1:31 PM IST