आ अब लौट चलें : मजदूरों के माथे पर फिर उठी चिन्ता की लकीरें, सड़क पर दिखा मुफलिसी और बेचारगी का आलम

Lines of worry have arisen again on the foreheads of the labors
आ अब लौट चलें : मजदूरों के माथे पर फिर उठी चिन्ता की लकीरें, सड़क पर दिखा मुफलिसी और बेचारगी का आलम
आ अब लौट चलें : मजदूरों के माथे पर फिर उठी चिन्ता की लकीरें, सड़क पर दिखा मुफलिसी और बेचारगी का आलम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मजदूरों के माथे पर चिन्ता की लकीरें फिर उठी आईं है। यही कारण है कि उपराजधानी की सड़कों पर मुफलिसी और बेचारगी का आलम दोबारा नजर आया। मजदूरों के सिर भय का साया मंडराने लगा, बेबस तस्वीरें कैमरे में कैद हीते चले गईं। मजदूरों के पलायन का दर्द फिर उभर आया है। शहर सीमा में लाॅकडाउन की घोषणा ने मजदूरों के संयम की सीमा मानो फिर से तोड़ दी है। वे न ताे किसी उम्मीद के भरोसे रहना चाहते हैं, न ही उन्हें खुद पर भरोसा है। संकट की आहट सुन वे चल पड़े हैं। अपने गांव घर को, वे अपना वतन कहते हैं। वतन की ओर बढ़े कदम यह भी जानने की परवाह नहीं कर रहे हैं आखिर वाहन की सवारी कर पाएंगे। प्रशासन ने 15 से 21 मार्च तक लाॅकडाउन की घोषणा की है। लेकिन सप्ताहांत शनिवार व रविवार को पहले से ही सेमी लाॅकडाउन घोषित है। ऐसे में 9 दिन के लाॅकडाउन ने लोगों में बेचैनी बढ़ा दी है। 

महानगर मध्य भारत के लिए मजदूरी का केंद्र माना जाता है। यहां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार तक के मजदूर विविध सेक्टर में काम करते हैं। दोपहर करीब 3 बजे थे। मानस चौक से शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन के सामने के उड़ानपुल की ओर मजदूर परिवार अपनी धुंध में चले जा रहे हैं। सिर, कंधे पर थैली-थैला। बगल में पोटली। कमर-हाथ में मासूम बच्चे। पिछले साल लॉकडाउन में देखी गई मजदूरों की बेबसी की तस्वीर मानों फिर से करवट लेने लगी।

Created On :   14 March 2021 2:33 PM IST

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