मजदूरी करने वाली महिलाएं अब बना रहीें हैं सुगंधित साबुन : सबको मिला रोजगार

Livelihood brand prepared by womens self-help groups in balaghat
मजदूरी करने वाली महिलाएं अब बना रहीें हैं सुगंधित साबुन : सबको मिला रोजगार
मजदूरी करने वाली महिलाएं अब बना रहीें हैं सुगंधित साबुन : सबको मिला रोजगार

डिजिटल डेस्क बालाघाट । कोहकाडीबर  के खेतों में मजदूरी का काम करके अपने परिवार का गुजारा चलाने वाली महिलाओं ने कभी नहीं सोचा था कि उनके द्वारा तैयार साबुन बहुत जल्दी लोकप्रिय होने लगेगा और उसकी सप्लाय की मांग तेजी से आने लगेगी। ग्राम कोहकाडीबर के महिलाओं के स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार आजीविका ब्रांड का साबुन सस्ता होने के साथ ही आकर्षक पैकिंग में बिक्री के लिए उपलब्ध होने लगा है। आजीविका ब्रांड के साबुन निर्माण ने कोहकाडीबर की महिलाओं के लिए रोजगार के नये अवसर और उन्नती का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
     बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कोहकाडीबर की महिलाओं को राष्ट्रीय आजीविका मिशन से मदद एवं प्रोत्साहन मिला तो उन्होंने भी आत्मनिर्भर बनने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान बालाघाट से साबुन निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कोहकाडीबर की महिलाओं ने अपने घर पर ही साबुन बनाने का काम प्रारंभ कर दिया है।
     आजीविका मिशन द्वारा कोहकाडीबर में 166 परिवारों की महिलाओं के 13 स्वयं सहायता समूह बनाये गये है। इन्ही में से एक समूह है रानी अवंती बाई स्वयं सहायता समूह। इस समूह की अध्यक्ष बेनेश्वरी पिछोड़े है और उनके समूह में 15 महिलायें सदस्य है। हर सप्ताह 20 रुपये प्रति सदस्य की दर से बचत राशि समूह के खाते में जमा कर समूह एक छोटा सा बैंक जैसा बन गया है, जो अपने सदस्यों को जरूरत पडऩे पर मात्र 2 प्रतिशत ब्याज पर राशि उधार देता है। इस समूह के पास आज 40 हजार रुपये की जमा राशि एकत्र है।
     आजाविका मिशन की ओर से इस समूह की महिलाओं को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान गोंगलई बालाघाट में साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया है। प्रशिक्षण में साबुन बनाने के विधि सीखने के बाद इस समूह की महिलाओं ने 23 जनवरी 2018 से अपने घर पर ही नहाने का सुगंधित साबुन बनाना प्रारंभ कर दिया है। महिलाओं द्वारा बनाये गये साबुन को आजीविका ब्रांड नाम दिया गया है और आकर्षक पैकिंग में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। मात्र 18 रुपये की यह साबुन बाजार में मिलने वाले अन्य ब्रांड के साबुन से बहुत ही सस्ता है और गुणवत्ता में कहीं पर भी कम नहीं है।
     समूह की महिलाओं ने चर्चा के दौरान बताया कि एक साबुन को बनाने में 15 रुपये की लागत आती है। साबुन बनाने के लिए कच्चा माल कोकोनट आईल व ग्लिसरिन का मिश्रण, परफ्यूम, साबुन का सांचा व एल्कोहल अहमदाबाद से मंगाया जा रहा है। समूह की महिलायें एक स्थान पर एकत्र होकर साबुन बनाने का कार्य करती है। 5 घंटे की मेहनत में एक महिला 50 साबुन बना लेती है। अब तक कोहकाडीबर की महिलाएं 05 क्विंटल साबुन बना चुकी है। महिलाओं द्वारा चंदन, लेमन, गुलाब, नीम व एलोवेरा फ्लेवर में साबुन बनाई जा रही है।
     महिलाओं के समूह द्वारा तैयार साबुन को बाजार उपलब्ध कराने के लिए आजीविका मिशन प्रारंभ में बालाघाट बीआरसी को 4500 साबुन प्रदाय किये गये है। इसकी 81 हजार रुपये की राशि का चेक शीघ्र ही समूह को मिलने वाला है। समूह द्वारा तैयार 932 साबुन वारासिवनी बीआरसी, 854 साबुन खैरलांजी बीआरसी और 1018 साबुन लालबर्रा बीआरसी को 07 फरवरी 2018 को सप्लाय किया गया है। इससे समूह को 54 हजार रुपये की राशि मिलेगी। महिलाओं द्वारा तैयार यह साबुन जिले की शालाओं में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले समूहों एवं शालाओं में बच्चों को हाथ धुलाने के लिए उपयोग किया जायेगा।

 

Created On :   8 Feb 2018 1:38 PM IST

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