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जिस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत, उसी दौरान कैंटीन में तालाबंदी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । रोजमर्रा के सामान के लिए सीएसडी कैंटीन पर निर्भर रहने वाले हजारों परिवारों का मानना है कि जिस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत है, उसी दौरान स्टोर को बंद रखा गया है। ठोस तर्क यह दिया जा रहा है कि जब निजी कंपनियों के रिटेल स्टोर्स में खरीद फरोख्त चल रही है, तो शहर की सभी कैंटीनों को बंद क्यों रखा गया है।
कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट में लॉकडाउन की शुरूआत के साथ ही तालाबंदी है। शहर में वैसे तो तकरीबन एक दर्जन कैंटीन हैं, लेकिन किसी के भी दरवाजे नहीं खुले हैं। कार्डधारकों का कहना है कि इन विषम परिस्थितियों में कैंटीन की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है, क्योंकि बाजार में सामान आसानी से मिल नहीं पा रहा और जहाँ मिल भी रहा है, तो इसके लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है। कार्डधारियों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हुए कैंटीन को चालू रखा जा सकता था, लेकिन अफसोस की बात है कि इसके लिए कोई प्लानिंग ही नहीं बनाई गई।
दो महीने की रकम लैप्स
लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में काफी कार्डधारक खरीदी से वंचित रह गए। इस तरह से मार्च की क्रेडिट लिमिट लैप्स हो गई। उम्मीद की गई थी कि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन खुलने के साथ ही खरीदी की जा सकेगी। अब यह तय हो गया है कि पूरा महीना इसी तरह की बंदिश में गुजरने वाला है, लिहाजा कैंटीन कार्डधारियों के दो महीने की क्रेडिट लिमिट लैप्स हो जाएगी।
इनका कहना है
ट्टकिसी महीने में अगर कार्डधारी खरीददारी नहीं कर पाते हैं, तो उस क्रेडिट लिमिट को बढ़ाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। अगले महीनों में किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी जा सकती है।
राज नारायण परिहार सीएसडी इंचार्ज, ओएफके
लॉकडाउन को लेकर सही प्लानिंग नहीं की गई। बेहतर होता अगर दाल, चावल जैसी अन्य बेहद जरूरी सामग्री की बिक्री जारी रखी जाती। निजी क्षेत्र की तरह यहाँ भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाना कोई मुश्किल बात नहीं होती।
आरएस तिवारी, अध्यक्ष
Created On :   15 April 2020 2:51 PM IST