निजीकरण के विरोध में बैंकों में लटके रहे ताले

गोलबाजार में कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन निजीकरण के विरोध में बैंकों में लटके रहे ताले

डिजिटल डेस्क जबलपुर। बैंकों के निजीकरण के विरोध एवं बैंकिंग कानून संशोधन बिल वापस लिए जाने की माँग को लेकर बैंक कर्मचारियों ने दो दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू की। हड़ताल के पहले दिन गुरुवार को बैंकों में ताले लटके रहे और अधिकारी-कर्मचारियों ने गोलबाजार में एकत्र होकर केंद्र सरकार की निजीकरण की नीति को लेकर आक्रोश जताते हुए धरना प्रदर्शन किया। हड़ताल के चलते बैंकिंग गतिविधियाँ पूरी तरह ठप रहीं।
प्रदर्शन के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों का कहना था कि यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के घटक दलों के प्रतिनिधियों द्वारा निजीकरण से होने वाली समस्याओं को लेकर सरकार व वित्त व्यवस्था से संबंधित समिति के समक्ष कई बैठकों में अपना पक्ष रखा लेकिन सरकार हठधर्मिता पर अड़ी है और कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने के कारण बैंक अधिकारी-कर्मचारियों को हड़ताल के लिए बाध्य होना पड़ा है। प्रदर्शन के दौरान यूएफबीयू जबलपुर इकाई संयोजक विजय मिश्र, एम्पलाईज यूनियन के प्रशांत खरे, बैंक अधिकारी संघ के अध्यक्ष विवेक रंजन, पंकज गुप्ता, संजय बघेल, श्रीमती वेणू राठी, तरुण डेकाटे, केनरा बैंक अधिकारी संघ के जिला सचिव डी. अंडराडे एवं बड़ी संख्या में घटक दलों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।
राष्ट्रीयकृत बैंकों का अस्तित्व जरूरी
प्रदर्शन के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों का कहना था बैंकों में कुल जमा पूँजी में 65 से 70 प्रतिशत हिस्सा पब्लिक सेक्टर बैंकों का है। ग्राहकों की इस जमा राशि की सुरक्षा की गारंटी के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों का अस्तित्व बना रहना आवश्यक है।
पूँजीपतियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि बैंकों के एनपीए का बहुत बड़ा हिस्सा कुछ पूँजीपतियों और उद्योगपतियों का है जिन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। सरकार एनपीए का प्रभावी निस्पादन करने की बजाए बैंकों के सरकारी स्वरूप को खत्म कर चंद पूँजीपतियों के खिलाफ कार्रवाई से बचना चाहती है।

 

 

Created On :   16 Dec 2021 9:17 PM IST

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