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वातानुकूलित केबिन में बैठकर ट्रेन दौड़ाएंगे चालक, NKJ को मिले 50 नए इलेक्ट्रिक इंजन
डिजिटल डेस्क, कटनी। 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेन दौड़ाने वाले चालकों को बाहर के तापमान से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक में बैठना पड़ता है। लोको पायलटों को अब इस गर्मी से निजात मिलेगी। रेलवे द्वारा सभी इंजनों के पायलट केबिन को वातानुकूलित किया जा रहा है। वहीं अब जो नए इंजन आ रहे हैं उनमें पायलट के केबिन वातानुकूलित हैं। न्यू कटनी जंक्शन को भी ऐसे 50 नए इलेक्ट्रिक इंजिन मिले हैं। कटनी-जबलपुर रेल खंड के इलेक्ट्रिफिकेशन होते ही यह नए इंजिन ट्रैक पर दौड़ने लगेंगे।
स्पीड अधिक, साउंड भी कम-जानकारी के अनुसार नए इलेक्ट्रिक इंजनों की क्षमता भी अधिक है और इनका साउंड पुराने इंजनों से कम है। नए इंजनों की पॉवर क्षमता 4500 हार्स पॉवर है। जबकि अभी चल रहे इलेक्ट्रिक इंजन का क्षमता 3200 हार्स पॉवर है। डब्ल्यूएजी-9 वर्जन के इन इंजनों की स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है।
डीजल इंजनों की क्षमता बढ़ी
मिली जानकारी के अनुसार रेलवे ने अधिक क्षमता के डीजल इंजन भी उपलब्ध कराए हैं। नए डीजल इंजन 4400 हार्स पॉवर के हैं। इनकी भी स्पीड पुराने इंजनों से अधिक है। अधिक क्षमता एवं स्पीड के इंजनों के ट्रेक पर दौड़ने से ट्रेनों की लेटलतीफी भी कम होगी। नए डीजल इंजनों में भी पायलट केबिन वातानुकूलित हैं।
50 डिग्री सेल्सियस में दौड़ाते हैं ट्रेन
जानकारी के अनुसार पुराने इलेक्ट्रिक इंजनों के नान एसी केबिन का तामपान 50 डिग्री सेल्सियस होता है। क्योंकि इंजन का तापमान ही 80 डिग्री सेल्सियस रहता है और चालक उसके ठीक पीछे बैठता है। जिससे केबिन का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रहता है। अधिक तापमान के कारण चालक असहज रहते हैं जिससे हादसे होने की संभावना अधिक रहती है। इंजनों के वातानुकूलित सिस्टम लगने से चालकों को भी राहत रहेगी और एक्सीडेंट पर कुछ हद तक कंट्रोल होगा। न्यू कटनी जंक्शन को भी ऐसे 50 नए इलेक्ट्रिक इंजिन मिले हैं।
Created On :   2 July 2018 1:29 PM IST