लोकवाणी : (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि-9 अगस्त, 2020

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
लोकवाणी : (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि-9 अगस्त, 2020

डिजिटल डेस्क, रायपुर। विषय-‘न्याय योजनाएं, नयी दिशाएं‘ एंकर - सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार। - लोकवाणी की नवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी रायपुर के स्टूडियो पधार चुके हैं। - माननीय मुख्यमंत्री जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है। माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब - जम्मो सुनवइया, दाई-दीदी, सियान-जवान अऊ लइका मन ला जय जोहार, नमस्कार। - कोरोना, कोविद-19 नियंत्रण के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है, लेकिन यह जानिए कि खतरा अभी टला नहीं है। हम सबको पूरी सावधानी के साथ आगे बढ़ना है। घर से निकलते समय फेस मास्क, फेस कव्हर, फेस शील्ड आदि जो संभव हो, वह साधन अपनाते रहिए। - फिजिकल दूरी का पालन कीजिए। भीड़ से बचिए। - साबुन से हाथ धोने, बिना वजह घर से बाहर नहीं निकलने जैसे सुरक्षा के हर संभव उपाय करते रहिए। - इस तरह हमें आगे काम भी करना है और सुरक्षा अपनाकर अपनी सेहत भी ठीक रखना है। एंकर - माननीय मुख्यमंत्री जी, यह एक संयोग है कि आज 9 अगस्त के ऐतिहासिक दिन पर लोकवाणी की नवीं किस्त का प्रसारण हो रहा है। इस अवसर पर हमारे श्रोताओं को आपके प्रेरणादायक उद्गारों की प्रतीक्षा है। माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब - 9 अगस्त को हम अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रसंग इस दिन के साथ जुड़ा हुआ है। - द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों का साथ देने के बाद भी, जब अंग्रेजों ने आजादी देने में हील-हवाला किया, तब अहिंसा के पुजारी, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 से न सिर्फ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की, बल्कि ‘करो या मरो’ का नारा भी दिया। - 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई सत्र में बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ देते हुए कहा था-‘‘भारत अर्थात् मानवता के इस विशाल सागर को संसार की मुक्ति के कार्य की ओर तब तक कैसे प्रेरित किया जा सकता है, जब तक कि उसे स्वयं स्वतंत्रता की अनुभूति नहीं हो जाती ? यदि भारत की आंखों की चमक को वापस लाना है, तो स्वतंत्रता को कल नहीं बल्कि आज ही आना होगा। - इस घोषणा के बाद महात्मा गांधी को पुणे के आगाखान पैलेस में कैद कर लिया गया। लगभग सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये। - लेकिन अरूणा आसफ अली, मुम्बई के गोवालिया टैंक मैदान में पहुंच गईं और उन्होंने तिरंगा फहरा कर, गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद कर दिया। - यह मैदान ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आजादी की लड़ाई आंधी-तूफान की तरह आगे बढ़ी। - 1857 से लेकर 1942 तक की हर कुर्बानी का हिसाब लेने के लिए हमारे पुरखों ने सिर पर कफन बांध लिया था। लोगों ने तन-मन-धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया और अपना लक्ष्य हासिल करके ही माने। - मेरा मानना है कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था। - भारत की आजादी ने न सिर्फ भारतीयों के जीवन में न्याय की शुरूआत की, बल्कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया। - आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त की मध्य रात्रि और 15 अगस्त 1947 की पहली घड़ी में जो ऐतिहासिक भाषण दिया था, उसके कुछ अंश सुनाना चाहूंगा। - पंडित नेहरू ने आजादी की पहली किरण के साथ कहा था-‘‘ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है, एक नये तारे का उदय हुआ है, पूरब में स्वतंत्रता का सितारा। एक नयी आशा कभी धूमिल न हो ! हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहें। - भविष्य हमें बुला रहा है। हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें। हम गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से लड़ सकें। हम एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकें। - और हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें, जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सकें। - इसलिए आज जब हम न्याय की बात करते हैं, तब एक पूरी पृष्ठभूमि हमारी नजरों के सामने आती है। हमारे पुरखों का त्याग और बलिदान हमें याद रहता है, जो न्याय की बुनियाद है। - इसी हफ्ते हम अपनी देश की आजादी की 73वीं सालगिरह मनाने वाले हैं। ये 73 साल, जन-जन को न्याय दिलाने के लिए उठाये गये कदमों के साक्षी हैं। - 9 अगस्त को हम आदिवासी समाज के विकास के संकल्पों के लिए भी याद करते हैं। 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘विश्व आदिवासी’ दिवस घोषित किया था। - 38 वर्ष पहले आज के दिन दुनिया में अनुसूचित जनजाति के सम्मान और विकास के लिए नए लक्ष्य तय किये गए थे। अब यह देखने और समीक्षा करने

Created On :   10 Aug 2020 1:05 PM IST

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