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जमानत की राशि पीएम रिलीफ फण्ड में जमा करने के आदेश नहीं दे सकती निचली अदालत
तब्लीगी जमात के लोगों को मस्जिद में छिपाने के आरोपी मौलवी की याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि जमानत के लिए जुर्माने के रूप में तय हुई राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करने के आदेश निचली अदालत नहीं दे सकती। जस्टिस सुजय पॉल की एकलपीठ ने मंगलवार को भोपाल के एक मौलवी की जमानत अर्जी पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद यह फैसला दिया।
यह अर्जी भोपाल के इस्लामपुरा में रहने वाले फहद अहमद और इस्लामपुरा की ही ईदा सेठ मस्जिद के मौलवी हफीज मोहम्मद हसीन की ओर से दायर की गई थी। इन दोनों के खिलाफ तलैया थाना पुलिस ने आईपीसी, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। दोनों पर आरोप है कि कोरोना महामारी को रोकने सरकार द्वारा एडवाजयरी जारी होने के बाद भी उन्होंने किर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से आए तब्लीगियों को मस्जिद में ठहराकर धार्मिक गतिविधियां कराईं। इससे वहां पर कोरोना संक्रमण के फैलने के खतरे को देखते हुए तलैया थाना पुलिस ने 28 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार किया था। इस मामले में भोपाल की एडीजे कोर्ट ने 30 अप्रैल 2020 को आरोपियों को जमानत का लाभ देते हुए कहा था कि दोनों पीएम रिलीफ फण्ड में 25-25 हजार रुपए की राशि जमा करें। जमानत आदेश में लगाई गई इस शर्त को चुनौती देकर यह अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अंकित सक्सेना ने पैरवी की।
Created On :   13 May 2020 2:22 PM IST