साल भर से बंद पड़ी है ब्लड से रक्तपेशियां अलग करने वाली मशीन

Machine to separate the blood vessels from the blood is lying closed for a year
साल भर से बंद पड़ी है ब्लड से रक्तपेशियां अलग करने वाली मशीन
हांफ रहा हॉफकिन साल भर से बंद पड़ी है ब्लड से रक्तपेशियां अलग करने वाली मशीन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल की आदर्श ब्लड बैंक में सफेद रक्तपेशियां अलग करने के लिए लगाई गई एसडीपी मशीन का सालभर से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस मशीन से रक्त संकलन के लिए विशेष किट्स की आवश्यकता होती है, जो काफी महंगी है। एक किट की कीमत 10 हजार रुपए बताई जाती है। साल भर पहले इसका प्रस्ताव सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसी हॉफकिन को भेजा गया है, लेकिन वह दखल नहीं ले रही है।

अलग होती हैं सफेद रक्तपेशियां

कोरोनाकाल के दौरान रक्तदाताओं की संख्या में कमी आई है। इसका असर सरकारी अस्पतालों में दिखाई दे रहा है। मरीजों के परिजनों को बाहर से रक्त का जुगाड़ करने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ती है। ऐसे में मेडिकल की आदर्श ब्लड बैंक में एक साल से एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) मशीन बंद पड़ी है। इस मशीन से कैंसर व डेंगू के मरीजों को आवश्यक डब्ल्यूबीसी (सफेद रक्तपेशी) अलग की जाती है। मशीन बंद होने से सामान्य प्रक्रिया से रक्त लेकर प्लेटलेट्स अलग किए जाते हैं। इससे रक्तदाता अगली बार 20 दिन की बजाय 90 दिन बाद ही रक्तदान कर पाता है।

एक किटस् 10 हजार रुपए की : मेडिकल की आदर्श ब्लड बैंक में तीन साल पहले एसडीपी मशीन लगी थी। इस मशीन से रक्त संग्रहण करने के लिए विशेष किट्स उपलब्ध नहीं है। साल भर से यही स्थिति है। इस कारण मशीन से रक्त संग्रहण प्रक्रिया नहीं की जा रही है। इस मशीन से रक्तदाता से रक्त लेकर सफेद रक्तपेशियां तुरंत अलग की जाती है। इस किट्स की कीमत 10 हजार रुपए प्रति नग बताई जाती है। मेडिकल को सालाना 500 से 1000 नग की आवश्यकता होती है। इसका प्रस्ताव 2019 में सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसी हॉफकिन को भेजा गया है, लेकिन सालभर से अधिक समय होने के बावजूद ब्लड बैंक को किट्स की आपूर्ति नहीं की जा सकी है।  

20 दिन बाद फिर से कर सकते रक्तदान

मेडिकल में भर्ती कैंसर व डेंगू के मरीजों को सफेद रक्तपेशियों की आवश्यकता होती है। कैंसर के मरीजों का कीमोथैरेपी के बाद इसकी जरुरत पड़ती हैं, वहीं डेंगू के मरीजों की प्लेटलेट्स बीमारी शुरू होते ही कम हो जाती है। ऐसे मरीजों को सफेद रक्तपेशियों की आपूर्ति करना पड़ता है। सामान्य प्रक्रिया से रक्त लेने पर रक्तगट का विभाजन जांच के बाद ही हो पाता है। तब जाकर सफेद रक्तपेशियां मिल पाती हैं। इसमें विलंब होता है। इस काम को आसान करने के लिए एसडीपी मशीन सबसे उपयुक्त है। बताया जाता है कि इस मशीन द्वारा रक्तदान किए जाने पर रक्तदाता के रक्त से सफेद रक्तपेशियां अलग की जाती हैं। बाकी रक्त रक्तदाता के शरीर में वापस भेजा जाता है। इस प्रक्रिया के कारण रक्तदाता शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ रहकर हर 20 दिन में रक्तदान कर सकता है। लेकिन एसडीपी मशीन बंद होने से ऐसा नहीं हो पा रहा है। 

मशीन का उपयोग नहीं होने से नुकसान

कोई भी रक्तदाता जब रक्तदान करने पहुंचता है तो सामान्य प्रक्रिया कर रक्त संग्रहण किया जाता है। इस प्रक्रिया से रक्त संग्रहण करने पर वह रक्तदाता अगली बार 90 दिन बाद ही रक्तदान कर सकता है। वहीं, सामान्य प्रक्रिया से लिये गए रक्त की जांच व सफेद रक्तपेशियां अलग करने में समय लगता है। एसडीपी मशीन से रक्त संग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने पर तुरंत सफेद रक्तपेशियां अलग हो जाती हैं। इस प्रक्रिया से रक्तदान करने पर रक्तदाता हर बार 20 दिन बाद रक्तदान कर सकता है। यानि रक्तदाता सालभर में 12 से अधिक बार रक्तदान कर सकता है। इससे रक्तदाताओं की संख्या कम होने पर भी रक्त के अकाल की समस्या नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार, सालाना 50 फीसदी रक्तदाताओं की जरूरत कम होगी। बताया जाता है कि निजी ब्लड बैंकों में इस मशीन का उपयोग किया जाता है। 

डॉ. संजय पराते, प्राध्यापक व विभाग प्रमुख, आदर्श ब्लड बैंक, मेडिकल के मुताबिक किट्स उपलब्ध नहीं है एसडीपी मशीन बंद नहीं है। उसके लिए आवश्यक किट्स उपलब्ध नहीं है। इसके लिए सालभर पहले हॉफकिन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन इसकी दखल नहीं ली जा रही है।
 

Created On :   10 Dec 2021 6:54 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story