शहर के फेफड़ों की हो रही मरम्मत, ईको-टूरिज्म पर बेस होगा मदन महल पहाड़ी का प्रोजेक्ट
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। एक समय ऐसा था जब शहर को मदन महल ही पहाड़ियों से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन मिलती थी। उसके बाद पहाड़ी पर कब्जे होने लगे और ग्रीनरी समाप्त कर दी गई। न्यायालय के आदेश के बाद पहाड़ी से अतिक्रमण हटाए गए और अब इसे नए सिरे से संवारा जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि पहाड़ी के करीब 54 एकड़ क्षेत्रफल में 50 हजार से अधिक पौधों का रोपण हो गया है। इन पौधों की जीवटता 80 फीसदी से अधिक है जिससे यह उम्मीद है कि कुछ ही समय में मदन महल की पहाड़ी पर घना जंगल कायम हो जाएगा। अब पूरी पहाड़ी पर ईको-टूरिज्म के हिसाब से प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है जो शहर के लिए एक आकर्षण होगा।
करीब 25 वर्ष पहले मदन महल की पहाड़ी पूरी तरह से हरी-भरी थी और यहाँ फलदार पौधे पशु-पक्षियों को लुभाते थे। धीरे-धीरे पहाड़ी पर कब्जे होने लगे। लोगों ने न केवल पेड़-पौधों को नष्ट किया बल्कि चट्टानों को भी नुकसान पहुँचाया। इसके बाद न्यायालयीन हस्तक्षेप के बाद अब पहाड़ी पुराना गौरव प्राप्त कर रही है। बायो साइंस के शिक्षक यह मानते हैं कि मदन महल की पहाड़ी सिटी के लंग्स हैं और नए सिरे से संवरने के बाद इससे शहर का मौसम खुशनुमा हो जाएगा।
कलेक्टर ने प्रोजेक्ट तैयार करने के दिए निर्देश
पहाड़ी पर ईको-टूरिज्म की अपार संभावनाओं को देखते हुए कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने अच्छे प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए स्मार्ट सिटी और वन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही बैलेंसिंग रॉक के आसपास पार्क विकसित करने, पार्किंग की व्यवस्था करने और फूड जोन बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। यहीं पर एक सेल्फी पॉइंट भी बनाया जाएगा जो शहर की खूबसूरती को दिखाएगा।
रोपवे के लिए भी हो रहे प्रयास
बताया जाता है कि मदन महल की पहाड़ी पर रानी दुर्गावती के प्राचीन किले से लेकर बाजनामठ तक और संग्राम सागर से ठाकुर ताल तक रोपवे की योजना है। इस योजना के लिए जिला प्रशासन अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है, साथ ही पर्यटन विभाग ने भी कोशिश की है। इस सम्बंध में कहा जा रहा है कि शहर के नेता एकजुट होकर ताकत लगाएँ तो बहुत जल्द ही रोपवे का काम शुरू हो सकता है।
Created On :   10 March 2023 1:19 PM IST