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कभी भी धंस सकती है महाराजबाग पुलिया, आगाह करने के बावजूद अनदेखी
डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर के मेन मार्केट से सटे महाराजबाग रोड की पुलिया कमजोर हो चुकी है। जो कभी भी भारी वाहन के भार से गिर सकती है। बता दें कि निजी आर्किटेक्ट पीटी मसे द्वारा इस संबंध में मनपा प्रशासन को आगाह कराया गया है। इस बात को दो वर्ष बीत गए हैं। पीटी मसे की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिशकालीन इस पुलिया काे तत्काल गिरा दिया जाना चाहिए अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता है। नागपुर महानगर पालिका का लोक निर्माण विभाग भी मानता है कि यह पुलिया कभी भी गिर सकती है बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
निरीक्षण करवाया आैर भूल गए
उपराजधानी में कई जरूरी कार्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण नागपुर महानगर पालिका के खजाने में पैसा न होना है। निधि के अभाव में अनेक योजनाएं लंबित हैं। महाराजबाग रोड की पुलिया का जिर्णोद्धार करना भी इन्हीं प्रकल्पों में एक है। शहर के व्यस्ततम मार्गों से यातायात का रुख मोड़कर आवागमन को सुविधायुक्त बनाने के लिए कुछ इलाकों में छोटे रास्तों को बनाया जाना है। महाराजबाग से यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी तक का रास्ता भी ऐसा ही है। इस रास्ते को शहर विकास योजना में शामिल किया गया था तथा यह रास्ता बनने के बाद रामदासपेठ से सिविल लाइंस तक आने-जाने में अधिक सुविधा होती। रास्ते के इस महत्व को ध्यान में रखते हुए करीब 5.50 करोड़ की लागत से 640 बाय 24 मीटर रास्ते का निर्माण किया गया।
गत वर्ष से आम नागरिकों के लिए यह रास्ता शुरू भी कर दिया गया। रास्ता शुरू करने से पूर्व मनपा ने इस मार्ग का निजी आर्किटेक्ट मसे से निरीक्षण करवाया था। किंतु इस प्रस्ताव पर अब तक किसी भी प्रकार का विचार नहीं किया गया है।
जर्जर हो चुकी है पुलिया
सन् 1904 में ब्रिटिश सरकार द्वारा देश में कुल 4 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की गई थी। इसमें से एक नागपुर का कृषि महाविद्यालय था। इस महाविद्यालय में आने-जाने के लिए कच्ची सड़क बनायी गई थी। पुलिया का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा 1934 से 40 के बीच कराया गया था। इस रास्ते का इस्तेमाल कार एवं फायरब्रिगेड के वाहनों के लिए किया जाता था। अब पुलिया की हालत जर्जर हो गई है।
सड़क निर्माण के दौरान ही बन जाती पुलिया
चुंगी और एलबीटी बंद होने के बाद से मनपा के लिए निधि जुटा पाना बेहद मुश्किल हो रहा है। नागपुर महानगर पालिका निधि के लिए राज्य सरकार पर आश्रित हो गई है। ऐसे में शहर विकास की अनेक योजनाएं और प्रकल्प प्रभावित हो रहे हैं। इन योजनाओं को पूरा करने के लिए मनपा प्रशासन निधि का जुगाड़ करने में जुटी है। निधि के अभाव को ध्यान में रखते हुए सड़क निर्माण कार्य के दौरान ही पुलिया निर्माण का फैसला ने लिया जाता तो कम लागत में ही पुलिया और सड़क बनकर तैयार हो जाती। अब पुलिया निमार्ण पर पहले से दुगुना खर्च होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
न्यायालय ने दिया था आदेश
साल 2000 में राज्य सरकार ने शहर के विकास प्रारूप को मंजूरी दी थी, लेकिन तकनीकी और आर्थिक परेशानी के चलते रास्तों के चौड़ाईकरण और निर्माण कार्य को आरंभ नहीं किया जा सका था। रास्तों के संकरे होने से यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा रही थी। इस संबंध में उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने विकास प्रारूप के तहत रास्तों के निर्माण कार्य को तत्काल शुरू करने का आदेश दिया था। इसके चलते राज्य सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय ने शहर का मुआयना किया था।
अब भी नहीं मिली मंजूरी
अधिकारियों के मुताबिक महाराजबाग से यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी तक के रास्ते के निर्माण कार्य के प्रस्ताव के साथ ही पुल का भी प्रस्ताव बनाया गया था। पुराने पुल के जीर्णोद्धार एवं निर्माण के लिए एजेंसी पूरी तरह से अलग होती है। इस लिहाज से पुल के निर्माण के लिए भी अलग से प्रस्ताव बनाया था, लेकिन इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। एक बार फिर इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा गया है। अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली है। फिलहाल इस रास्ते पर केवल भारी वाहनों की आवाजाही से ही खतरा है।
Created On :   12 Jun 2018 10:53 AM GMT