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सिखों के लिए आनंद मैरिज एक्ट लागू करने को लेकर अपना रुख स्पष्ट करे महाराष्ट्र सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सिख समुदाय से जुड़े लोगों के विवाह के पंजीयन के लिए ‘आनंद विवाह अधिनियम’ को महाराष्ट्र में लागू करने का मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। इस संबंध में एक सिख दंपति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार को इस अधिनियम के तहत नियमावली तैयार करने का निर्देश दिया जाए और उनकी शादी का पंजीयन आनंद विवाह अधिनियम के तहत किया जाए।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति आर.एन लद्धा की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने सरकार को अपनी भूमिका स्पष्ट करने को कहा और याचिका पर सुनवाई 6 सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में दावा किया गया है कि पंजाब, केरल, असम, राजस्थान व दिल्ली में आनंद विवाह अधिनिय को लागू कर दिया है लेकिन महाराष्ट्र में अभी तक इस अधिनियम को लागू करने नियम नहीं तैयार किए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि सिख समुदाय के लोगों के विवाह के पंजीयन के लिए अलग कानून होने के बावजूद उन्हें मजबूरन हिंदु विवाह अधिनियम के तहत विवाह का पंजीयन करना पड़ता है। याचिका के मुताबिक सिख समुदाय के विवाह समारोह (सिख समुदाय में जिसे आनंद कारज कहा जाता है) को वैधता प्रदान करने के लिए 1909 में आनंद विवाह अधिनियम को पारित किया गया था। साल 2012 में इसमे एक संसोधन किया गया और सभी राज्यों को इस अधिनियम के तहत नियम बनाने के लिए कहा गया है।
इस संसोधन को दस साल बीत गए हैं लेकिन महाराष्ट्र राज्य में अब तक नियम नहीं तैयार किए गए हैं। यह नियम तैयार न करना सिख धर्म का पालन करनेवाले सिख जोड़ों के अधिकारों का न सिर्फ उल्लंघन है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है। याचिका दायर करनेवाले पेशे से वकील सिख जोड़े ने पिछले साल विवाह किया था। अब वे आनंद विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह का पंजीयन कराना चाहता है।
Created On :   14 Oct 2022 8:33 PM IST