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ओबीसी आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट नकारा, अगले आदेश तक चुनाव में आरक्षण नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट को नकारा करार दिया। जिसके बाद अगले आदेश तक चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मसले पर सौंपी गई राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अदालत ने आयोग की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली रिट याचिका के साथ ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर गुरुवार को सुनवाई की। इसके बाद साफ हो गया कि अगले आदेश तक चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं होगा।
विकास गवली द्वारा दायर याचिका में सवाल उठाया गया था कि 1931 की जनगणना के मुताबिक ओबीसी की संख्या 57 प्रतिशत और मंडल आयोग ने इनकी संख्या 54 प्रतिशत आंकी है, तो राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में ओबीसी की 38 प्रतिशत जनसंख्या का दिया गया आंकडा कहां से जुटाया गया है? याचिकाकर्ता का कहना है कि कोर्ट ने अगर ओबीसी की जनसंख्या को 38 फीसदी मान लिया या इस पर मुहर लगाई और यह 54 से घटकर 38 प्रतिशत पर आई तो करीब 23 प्रतिशत ओबीसी का हमेशा के लिए नुकसान होगा। याचिकाकर्ता के मुताबिक आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में ओबीसी की संख्या 38 प्रतिशत बताकर 27 फीसदी तक आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की गई है।
गवली ने कहा था कि वे भी ओबीसी समुदाय से ही आते है, इसलिए वे ओबीसी आरक्षण के खिलाफ नहीं है, लेकिन ओबीसी आरक्षण के मसले पर तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है और जनसंख्या को लेकर पीठ यदि कोई फैसला सुनाती है तो वह कानून बन जायेगा। यह न हो, इसलिए मांग की गई है कि ओबीसी को आरक्षण एम्पिरिकल डेटा के आधार पर ही दिया जाए। गौरतलब है कि इससे पहले याचिकाकर्ता की एक मामले में ( विकास किसनराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार) सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रुप से कहा है कि एम्पिरिकल डेटा के आधार पर ही ओबीसी को आरक्षण दिया जाए। बता दें कि इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई थी।
Created On :   3 March 2022 3:42 PM IST