25 अगस्त को त्वरित सुनवाई कर 600 से अधिक पीजी मेडिकल सीटों में आरक्षण मुद्दे का करे अंतिम निराकरण

Make a final solution to the reservation issue in more than 600 PG medical seats after a quick hearing
25 अगस्त को त्वरित सुनवाई कर 600 से अधिक पीजी मेडिकल सीटों में आरक्षण मुद्दे का करे अंतिम निराकरण
सुको ने निजी मेडिकल कॉलेजों के एसोसिएशन की याचिका में दिए उच्च न्यायालय को निर्देश  25 अगस्त को त्वरित सुनवाई कर 600 से अधिक पीजी मेडिकल सीटों में आरक्षण मुद्दे का करे अंतिम निराकरण

 डिजिटल डेस्क जबलपुर । सुप्रीम कोर्ट  के न्यायमूर्ति  एल नागेश्वर राव  एवं  न्यायमूर्ति  बीआर गवई की युगल पीठ ने उच्च न्यायालय को निर्देशित किया की वो 25 अगस्त 2021 को पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों में डोमिसाइल, एनआरआई एवं संस्थागत संबंधी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका की अंतिम सुनवाई करे एवं उसका तत्काल निराकरण करे। यह निर्देश प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की अपीलीय याचिका में आए जिसने उच्च न्यायालय द्वारा बारम्बार दिए गए स्थगन आदेशों के विरुद्ध सुको में याचिका दायर की थी, जिसमें प्रार्थना की थी की 2021-22 के सत्र हेतु पीजी मेडिकल कोर्स की काउंसलिंग के पूर्व उनकी रिट याचिका का अंतिम निराकरण होना अति आवश्यक है। एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में पीजी मेडिकल कोर्स में डोमिसाइल (प्रदेश के मूलनिवासी) एवं संस्थागत स्तर पर निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य शासन द्वारा किये गए 100 प्रश आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है एवं कहा गया कि यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई 2019 में पूर्व में भी उच्च न्यायालय को इस याचिका की त्वरित सुनवाई कर शीघ्र अति शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए थे, जिसके पश्चात भी प्रकरण में उच्च न्यायालय में तारीख पे तारीख लगती रही। चार  अगस्त को न्यायालय द्वारा प्रकरण को इस आधार पर स्थगित कर दिया गया था की उसमे सम्मिलित कई मुद्दे, सुको की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है। इस स्थगन आदेश  के विरुद्ध एसोसिएशन द्वारा सुको में अपीली याचिका दायर की गई थी, जिस पर आज सुनवाई हुई एवं सुको द्वारा उच्च न्यायालय को 25 अगस्त 2021 को प्रकरण को अंतिम सुनवाई कर अंतिम रूप से निराकृत करने के निर्देश दिए।  याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने सुको में युगल पीठ के समक्ष पैरवी की।  
प्रदेश में सितंबर 2021 से 600 से अधिक पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश हेतु काउंसलिंग संभावित है। प्रवेश नियमों के अनुसार निजी मेडिकल कॉलेजो में भी 100प्रश सीटें प्रदेश के मूलनिवासी छात्रों हेतु अथवा उन छात्रों हेतु  है जिन्होंने प्रदेश के किसी भी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया हो।  एसोसिएशन द्वारा इस अहर्ता की संवैधानिकता आधार पर उच्च न्यायालय में 2019 में चुनौती दी गई की ऐसे प्रावधान उनको प्रदेश के बाहर के अच्छे मेरिटोरियस छात्रों को चयन करने से रोकते है एवं उनके संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ग)  के अंतर्गत असंवैधानिक है। वर्ष 2019 में जब उच्च न्यायालय ने द्वारा काउंसलिंग पर रोक लगाने से इंकार कर दिए गया था तो असोसिएशन द्वारा सुको में याचिका दायर की थी, जिसने उच्च न्यायालय को त्वरित सुनवाई कर याचिका को अंतिम रूप से निराकरण करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पश्चात् भी राज्य शासन द्वारा 8 से 9 पेशियों तक प्रकरण में तारीख पे तारीख ली गई एवं, जिस कारणवश उसकी अंतिम सुनवाई नहीं की जा रही थी। 4 अगस्त, 2021 को शासन द्वारा प्रकरण की सुनवाई में प्राथमिक आपत्ति ली की याचिका से जुड़े मुद्दे सुको की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है एवं उच्च न्यायालय इस पर सुनवाई नहीं कर सकती, जिसपर उच्च न्यायालय ने पुन: राज्य शासन को स्थगन दे दिया। उच्च न्यायालय के इन स्थगन आदेशों के विरुद्ध सुको में अपीली याचिका दायर की गई। एसोसिएशन की ओर से तर्क दिया गया की प्रकरण में स्वयं सुको द्वारा समय की बाध्यता एवं कॉलेजों के मौलिक अधिकारों को समझते हुए उच्च न्यायालय को 12 जुलाई, 2019 में त्वरित अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए थे, जिसको उच्च न्यायालय द्वारा कोई महत्व नहीं दिया गया।  यह भी तर्क  दिया  गया की उच्च न्यायालय में लंबित मुद्दे वस्तुत: वे नहीं है जो सुको की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है।   सुको की युगल पीठ ने उच्च न्यायालय को 25 अगस्त को प्रकरण तत्काल सुनवाई हेतु नियत करते हुए उसको अंतिम रूप से निराकृत करने के निर्देश दिए है, जब यह प्रकरण उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई हेतु नियत है।

Created On :   17 Aug 2021 1:43 PM IST

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