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जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी रोकने स्पेशल टीमें बनाएं - हाईकोर्ट
उन सभी लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई करें जो कालाबाजारी में लिप्त है
डिजिटल डेेेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया है कि जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर सहित प्रदेश के बड़े शहरों में रेमडेसिविर व जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों को पकडऩे के लिए स्पेशल टीमें बनाई जाएँ। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने कहा है कि कालाबाजारी करने वालों के साथ ही उन लोगों को भी गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की जाए, जिनसे कालाबाजारी करने वाले इंजेक्शन या दवा प्राप्त करते हैं। डिवीजन बैंच ने कहा है कि सभी याचिकाकर्ताओं, हस्तक्षेपकर्ताओं और अधिवक्ताओं ने रेमडेसिविर और जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने की शिकायत की है। इस मामले पर 6 मई को सुनवाई की गई थी, हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 11 पृष्ठीय आदेश जारी किया है। याचिकाओं की अगली सुनवाई 17 मई को निर्धारित की गई है। ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था पर माँगा जवाब
कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि प्रदेश में ऑक्सीजन पर्याप्त है, लेकिन ऑक्सीजन का वितरण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से मरीजों की मौत हो रही है। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को ऑक्सीजन वितरण के बारे में जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।
रेमडेसिविर सप्लाई की दिल्ली की तर्ज पर व्यवस्था क्यों नहीं
डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि रेमडेसिविर सप्लाई के लिए दिल्ली की तर्ज पर व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब माँगा गया है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि दिल्ली में स्टॉकिस्ट के पास कितने रेमडेसिविर इंजेक्शन हैं, इसे ऑनलाइन देखा जा सकता है। ऐसी व्यवस्था मप्र में भी लागू करने की माँग की गई।
रेमडेसिविर आयात की अनुमति क्यों नहीं
डिवीजन बैंच ने केन्द्र सरकार से यह जानना चाहा है कि राज्य सरकार को रेमडेसिविर को सीधे आयात करने की अनुमति देने में क्या परेशानी आ रही है। इसके साथ ही यह बताने को कहा है कि कुछ कंपनियाँ भारत में रेमडेसिविर का उत्पादन कर निर्यात कर रही हैं, आपदा काल में उन कंपनियों को रेमडेसिविर भारत में सप्लाई करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है।
वैक्सीनेशन की नीति स्पष्ट करे सरकार
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वैक्सीनेशन की नीति स्पष्ट करने और उपलब्धता के बारे में जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है, ताकि कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए 45 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से अधिक के लोगों को वैक्सीन लगाया जा सके। डिवीजन बैंच ने सीएमएचओ के 3 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके जरिए निजी अस्पतालों को वैक्सीन लौटाने को कहा गया था।
यह है मामला
हाईकोर्ट द्वारा कोरोना के इलाज में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर की कमी और अन्य अव्यवस्थाओं पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रही है। इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन की ओर से संयुक्त आवेदन दायर कर कहा गया है कि कुछ चुनिंदा निजी अस्पतालों को सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर खरीदने की अनुमति दी जा रही है। इसके साथ ही ऑक्सीजन सप्लाई में निजी अस्पतालों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
जिला स्तरीय समिति करेगी निजी अस्पतालों में अधिक वसूली की सुनवाई
कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ने 4 मई को ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अस्पतालों में बेड्स की व्यवस्था को लेकर जिला स्तरीय समिति का गठन किया है, लेकिन उस समिति को निजी अस्पतालों में अधिक वसूली और अन्य शिकायतों की सुनवाई का अधिकार नहीं दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने आश्वासन दिया कि 4 मई को गठित की गई जिला स्तरीय समितियाँ निजी अस्पतालों में अधिक वसूली और अन्य शिकायतों की सुनवाई कर निराकरण करेंगी।
क्यों नहीं बढ़ाया गया रेमडेसिविर का 20 प्रतिशत कोटा
सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच को बताया गया कि 19 अप्रैल को केन्द्र सरकार को रेमडेसिविर का कोटा 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का आदेश दिया गया था, लेकिन अभी तक कोटा नहीं बढ़ाया गया है। डिवीजन बैंच ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि रेमडेसिविर का कोटा 20 प्रतिशत क्यों नहीं बढ़ाया गया।
Created On :   8 May 2021 2:29 PM IST