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विंध्य में पैर पसार रहा मलेरिया, अस्पताल में रोजाना पहुंच रहे 200 से ज्यादा मरीज
डिजिटल डेस्क सतना रीवां। मौमस में आंशिक परिवर्तन के साथ विंध्य में मलेरिया पीडि़त मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन दिनों अकेले जिला अस्पताल में रोज लगभग 15से 20 मलेरिया पीडि़त मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक अगर सतना रीवां की सरकारी और निजी अस्पताल, क्लीनिकों के रोज के आंकड़े जोड़ दिए जाएं तो पीडि़तों की संख्या 200 के पार हो जाएगी। वैसे तो मलेरिया की जांच के लिए जिले के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ग्राम आरोग्य केन्द्र तक में जांच एवं प्राथमिक इलाज के इंतजाम किए गए हैं, बावजूद इसके लोग जिला अस्पताल भाग रहे हैं। इससे एक बात साफ है कि पीडि़तों को ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। लोगों के आरोप हैं कि गांव के अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्र सप्ताह में कई दिन बंद रहते हैं। विभाग के अधिकारियों से इस बात की शिकायतें भी की जाती हैं लेकिन हालात जस के तस हैं।
ले लेता है जान
चिकित्सक के मुताबिक मलेरिया के 4 प्रकारों में फैल्सीफेरम सबसे खतरनाक होने के साथ जानलेवा भी है। मरीज इसके गिरफ्त में गया और इलाज में लापरवाही हुई तो पीडि़त की जान भी जा सकती है। इतना ही नहीं इलाज में विलंब होने पर इसका प्रभाव मस्तिष्क में होता है, जिसे नियंत्रण करना आसान नहीं रहता। हर साल मलेरिया पीडि़त जितने मरीजों की मौत होती है उनमें अधिकांश मामलों में मौत का कारण फैल्सीफेरम मलेरिया के कारण मस्तिष्क का प्रभावित होना बताया जाता है।
मझगवां और परसमनिया के हालात खराब
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मलेरिया के मामले में जिले के मझगवां और परसमनिया की हालत खराब है। हालांकि इन दोनों क्षेत्रों को पिछले साल तक मलेरिया के लिए डेंजर जोन में रखा गया था। इस साल इन्हें डेंजर जोन से बाहर किया गया है लेकिन पिछले महीने मझगवां के बीरपुर पंचायत और इसके आस-पास के गांव में मलेरिया की जो भयावहता देखने को मिली है उससे एक बात जाहिर है कि यह क्षेत्र खतरे से खाली नहीं है। ज्ञात हो कि बीरपुर पंचायत में लगभग एक सप्ताह के दौरान एक सैकड़ा से अधिक फैल्सीफेरम मलेरिया से पीडि़त लोग सामने आए थे।
लक्षण एक नजर में
मलेरिया पीडि़त मरीज को सिरदर्द, बुखार, कमजोरी और उल्टी होने के साथ ठंड लगने की शिकायत रहती है। चिकित्सकों के मुताबिक इन कंडीशनों में मरीजों को इलाज में देरी नहीं करना चाहिए, फौरन अपने नजदीकी अस्पतालों में जाकर मलेरिया की जांच कराकर डॉक्टरों के निर्देशानुसार ट्रीटमेंट शुरू कर देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इलाज में लापरवाही करते हैं जिसकी उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ती है।
कैसे करें बचाव
मलेरिया से बचाव करके ही बचा जा सकता है। लोगों को अपने घरों के आसपास पानी नहीं भरने देना चाहिए साथ ही साफ-सफाई पर तो विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे गंदे पानी में मच्छर न पनपें। इसके अलावा सबसे बड़ा बचाव यह है कि रात में सोते समय मच्छरदानी अनिवार्य रूप से लगाएं।
इनका कहना है।
जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। जिला अस्पताल में रोजाना लगभग 15 पीडि़त इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
डा. सीएम तिवारी, मलेरिया अधिकारी सतना
Created On :   25 Oct 2017 1:58 PM IST