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मालेगांव बम विस्फोट : बंद लिफाफे वाले दस्तावेज लेने से अदालत का इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि मालेगांव बम धमाके के आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित यदि अपने बचाव में थल सेना में अपनी सेवा से जुड़े दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें इसकी प्रति धमाके के पीड़ित व प्रतिवादियों को भी देनी होगी। धमाके में अपने बेटे को गवानेवाले एक पीड़ित ने कोर्ट में आवेदन दायर किया है। इस आवेदन में पुरोहित को राहत देने का विरोध किया गया है। इस दौरान अदालत ने पुरोहित के वकील द्वारा बंद लिफाफे में दिए गए दस्तावेज लेने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि हम खुली अदालत में इस मामले की सुनवाई कर रहे है ऐसे में यदि आरोपी चाहते हैं कि उनके द्वारा पेश किए गए दस्तावेज हमारे फैसले का हिस्सा बने तो उन्हे मामले से जुड़े पक्षकारों को प्रति देनी पड़ेगी। वहीं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता संदेश पाटील ने कहा कि यह अपने तरह का एक अनोखा मुकदमा है, जिसमें आरोपी एक दूसरे से लड़ रहे हैं। मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई जारी है। अब तक इस मामले में 163 गवाहों की गवाही हो चुकी है। इसलिए आरोपी की याचिका पर सुनवाई अपेक्षित नहीं है।
पुरोहित ने याचिका में दावा किया है कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अधिकृत मंजूरी नहीं है। ऐसे में वैध मंजूरी के अभाव में उसके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। निचली अदालत उसके खिलाफ दर्ज मामले का संज्ञान नहीं ले सकती है। याचिका में पुरोहित ने दावा किया है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 192 (2) के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं ली गई है। पिछली सुनवाई के दौरान आरोपी पुरोहित के वकील ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल को थल सेना ने खूफिया सूचनाए इकट्ठा करने की ड्यूटी लगाई थी। इसलिए उन्होंने धमाके की साजिश की बैठक में हिस्सा लिया था।
न्यायमूर्ती एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने पुरोहित की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्रीकांत सिवदे ने कुछ दस्तावेज बंद लिफाफे में पेश किए। लेकिन खंडपीठ ने इसे लेने से इंकार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि जब तक दस्तावेज प्रतिवादी व पीड़ित पक्ष को नहीं दिए जाएगे तब तक हम इन पर विचार नहीं करेगे। हालांकि सिवदे ने कहा कि हमने जो दस्तावेज दिए हैं, उनमे संवेदनशील जानकारी है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिध्दांत इस मामले में दोनों पक्षो पर लागू होता है। खंडपीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में हो रही है। ऐसे में यदि आरोपी चाहते है कि उनके द्वारा पेश किए गए दस्तावेज हमारे फैसले का हिस्सा बने तो इसकी प्रति प्रतिवादियों व हस्तक्षेप आवेदन करनेवाले को भी दी जाए। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 17 मार्च 2021 तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   4 March 2021 8:54 PM IST