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कुपोषण का दंश - संभाग में 55 फीसदी किशोरी बालिकाएं अंडरवेट, 65 फीसदी मिली एनीमिक
स्वास्थ्य जांच शिविरों में सामने आ रही स्वास्थ्य सेवाओं की बदरंग तस्वीर
डिजिटल डेस्क शहडोल । संभाग में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे किए जाते हैं, लगातार सुविधाओं के विस्तार की बात कही जाती है, लेकिन सच्चाई यह है कि संभाग की आधी आबादी को अच्छा खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी यहां कुपोषण अपने चरम पर है। किशोरी बालिकाओं में कुपोषण की स्थिति जानने के लिए संभाग भर में स्वास्थ्य जांच शिविरों के नतीजे चौकाने वाले हैं। अब तक हुई जांच में 50 फीसदी से अधिक बालिकाएं अंडरवेट और 65 फीसदी के करीब एनीमिक पाई गई हैं। संभाग में शुरू किए गए संवेदना अभियान के तहत तीनों जिलों में अब तक 30 से 35 स्थानों पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया है। किशोरी बालिकाओं के लिए आयोजित इन शिविरों में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और हीमोग्लोबिन (एचबी) की जांच की जा रही है। अब तक 1164 बालिकाओं की हीमोग्लोबिन और 1124 बालिकाओं में बीएमआई की जांच की गई है। इसी से पूरे संभाग में एनीमिया और कुपोषण की बदरंग तस्वीर सामने आ गई है। अगले दो माह में तीनों जिलों के लगभग हर गांव में इस तरह के शिविर आयोजित किए जाएंगे।
शहडोल में 703 में से 12 सीवियर, 419 माइल्ड एनीमिक
शहडोल जिले में अब तक कुल 703 किशोरी बालिकाओं की जांच की गई। इनमें से 296 का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 18.5 से कम पाया गया यानि ये सभी अंडर वेट हैं। जबकि 284 बालिकाओं का बीएमआई 18.5 से अधिक पाया गया है। इसी तरह 703 बालिकाओं में से 12 सीवियर एनीमिक थीं, इनका हीमोग्लोबिन 8 ग्राम से कम पाया गया। 419 माइल्ड एनीमिक थी, जिनका हीमोग्लोबिन 8 से 11.9 ग्राम के बीच था। जबकि 164 बालिकाओं का हीमोग्लोबिन 11.9 ग्राम से अधिक था।
क्या है बॉडी मास इंडेक्स
बॉडी मास इंडेस (बीएमआई) एक तरह से कुपोषण को मापने की इकाई है। इसमें वजन और लंबाई का कैलकुलेशन कर स्वास्थ की गणना की जाती है। अगर बीएमआई 18.5 से कम तो उसे अंडर वेट माना जाता है। 18.5 से 25 तक बीएमआई सामान्य माना जाता है। वहीं 25 से 30 बीएमआई ओवरवेट की श्रेणी में आता है। जबकि 30 से अधिक ज्यादा मोटा कहलाता है।
इनका कहना है
संभाग के तीनों जिलों में किशोरी बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। जुलाई के प्रथम सप्ताह से काम शुरू हुआ है। इसकी रिपोर्ट आने लगी है। नतीजे ज्यादा अच्छे नहीं हैं। लगभग हर पंचायत में शिविर लगनी है।
एलएन कांडवाल जेडी महिला एवं बाल विकास विभाग
Created On :   20 July 2021 5:33 PM IST