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मनपा नहीं कर पाई पुनर्वसन, मनोरोगियों तक नहीं पहुंचा सुदामा मित्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर पालिका ने प्रादेशिक मनोचिकित्सालय के मनोरोगियों को पुनर्वसन करने के लिए ‘सुदामा मित्र’ योजना की घोषणा की थी। आठ साल पहले की गई इस घोषणा को कभी अमल में नहीं लाया गया। मनोचिकित्सालय के मनोरोगियों तक मनपा का ‘सुदामा मित्र’ नहीं पहुंच पाया। नागपुर के प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में 940 मनोरोगियों की क्षमता है। फिलहाल यहां 500 से अधिक मनोरोगी हैं। इसमें 50 फीसदी पुरुष व 50 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। यहां स्वस्थ होने वाले मरीजों के फिलहाल टाटा ट्रस्ट के सहयोग से पुनर्वसित किया जा रहा है। इसके लिए विविध योजनाएं चलाई जा रही हैं। स्वस्थ होने वाले मरीजों को अपने परिवार में जाने की इच्छा होती है, लेकिन परिजन उन्हें स्वीकार नहीं करते। ऐसे में उनका पुनर्वसन करना जरूरी होता है। अन्यथा उनके फिर से पहले वाली अवस्था में जाने का खतरा बना रहता है।
मनोरोगियों के पुनर्वसन के लिए 2014 में मनपा ने ‘सुदामा मित्र’ योजना शुरू की थी। धंताेली स्थित एक स्कूल के आवार में डे-केयर की तर्ज पर निर्माणकार्य करने काे मंजूरी दी गई थी। यहां हर दिन 10 मनोरोगियों को दिनभर विविध कार्यों का प्रशिक्षण देना था। प्रशिक्षण के बाद उनका उचित स्थान पर पुनर्वसन करना था। ताकि वे रोजगार प्राप्त कर आगे का जीवन सामान्य तरीके से जी सकें, लेकिन इस योजना के बारे में कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। मनोचिकित्सालय प्रशासन को भी इस योजना का क्या हुआ, इस बारे में पता नहीं है। हाल ही में एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा मनोरोगियों के पुनर्वसन के लिए पहल की जानेवाली है।
Created On :   12 Feb 2022 6:56 PM IST