मीडिया के सामने हैं कई चुनाैतियां, बिना डरे पाठकों तक जरूरी समाचार पहुंचाना होगा

many challenges in front of the media
मीडिया के सामने हैं कई चुनाैतियां, बिना डरे पाठकों तक जरूरी समाचार पहुंचाना होगा
राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान मीडिया के सामने हैं कई चुनाैतियां, बिना डरे पाठकों तक जरूरी समाचार पहुंचाना होगा

- दैनिक भास्कर का राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान 

- एकमत हुए वरिष्ठ पत्रकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आज की परिस्थिति देखें तो मीडिया के सामने कई चुनौतियां हैं। स्थिति ऐसी है कि खुद मीडिया की विश्वसनीयता भी दांव पर है। आज मीडिया की मंशा पर जितना शक किया जा रहा है, उतना शायद कभी नहीं किया गया। लेकिन ऐसी कठिन परिस्थिति के बीच भी मीडिया को अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। पाठक किस प्रकार से सोचता है, उसके लिए क्या जरूरी है, वो सभी समाचार बिना डरे और बिना रुके उस तक पहुंचाने चाहिए।

आत्मविश्वास न खोएं

दैनिक भास्कर द्वारा आयोजित देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र माथुर की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में देश के चर्चित पत्रकारों ने अपने विचार रखे। -"अपराध और राजनीति ही मात्र समाचार है", इस विषय पर रविवार को शहर के प्रेस क्लब में दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए सकाल मीडिया समूह के मुख्य संपादक श्रीराम पवार ने कहा कि आज लोगों के मन से मीडिया के प्रति विश्वास कम हुआ है। लोगों को लगता है कि सारा मीडिया बिका हुआ है। सच बात तो ये है कि आज मीडिया खुद एक सोची-समझी साजिश का शिकार हो रहा है। शक्तिशाली पदों पर बैठे कुछ लोग हैं, जो नहीं चाहते कि मीडिया उनसे सवाल करे। मीडिया के लिए यही सलाह है कि जब भी सवाल उठेे, तो आत्मसमीक्षा करें। आत्मविश्वास न खोएं।


सबकी अपनी-अपनी राय

-कार्यक्रम में उपस्थित मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष और न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सलाहकार संपादक गुरबीर सिंह ने कहा कि आज मीडिया से खोजी पत्रकारिता कम होती जा रही है। इसकी बड़ी वजह है कि मीडिया हाउस पत्रकारों के प्रशिक्षण की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्हें जल्द से जल्द पत्रकारों की ट्रेनिंग के इंतजाम करने की जरूरत है।

-ऐसे ही स्वतंत्र पत्रकार मोनादीपा बैनर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि सही मायनों में देखें तो राजनीति और अपराध ने कुछ इस तरह हाथ मिला लिया है, मानों दोनों ने विवाह कर लिया हो। इसलिए मीडिया में भी ऐसे समाचार आने बढ़ गए हैं, जो राजनीतिक और आपराधिक दोनों हैं। इसे नियंत्रित करके हमें पाठकों के लिए क्या जरूरी है, ऐसे विषय उन तक पहुंचाने चाहिए।

-वरिष्ठ खेल पत्रकार परवेज अहमद ने कहा कि आज अगर वाकई मीडिया अपनी स्थिति सुधार कर जनहित से जुड़े विषयों को प्रखर तरीके से उठाना चाहता है, तो इसके लिए जरूरी है कि अखबार या टीवी चैनल के संपादक को पूरी आजादी और शक्ति मिले।

-कार्यक्रम में मौजूद गल्फ न्यूज की स्तंभकार शीला भट्ट ने कहा कि ये देश 140 करोड़ लोगों का है, आप एक ही मेजरिंग टेप से सबको नहीं नाप सकते। याद रखें कि परिवर्तन बड़ी खामोशी से दबे पांव आता है। मीडिया को उन लोगों तक पहुंचना होगा, जो चुप हैं और खामोशी से परिवर्तित हो चुके हैं।

-नवभारत टाइम्स के विशेष संवाददाता अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि आज मीडिया में स्थिति ऐसी है कि अगर कोई दिन ऐसा हो कि कोई बड़ी ब्रेकिंग न्यूज न हो, तो राजनीति की खबरों को ताड़-मराेड़ कर "मैन्युफैक्चर" किया जाता है। इसे बदलना होगा। आप अच्छी खबरों को बढ़ावा देंगे, अच्छी पत्रकारिता करेंगे, तो पाठक निश्चित ही आपसे जुड़ेंगे।

-कार्यक्रम में बनारस से आए वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आज दौर बदल गया है। देश की राजनीति में अपराध का बोलबाला है। पाठकों को ऐसी खबरें पसंद आती हैं, जिनमें सनसनी हो। लेकिन ऐसी खबरें पूरे समाज, खास कर युवाओं के मन पर बुरा असर डालती है। इस पर मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी गौर करना होगा।

गरीब और कमजोर की आवाज उठानी है

कार्यक्रम की शुरुआत में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा ने वीडियो संदेश के माध्यम से सभा को संबोधित किया। उन्होंने राजेंद्र माथुर के पत्रकारिता में योगदान को याद करते हुए कहा कि माथुर एक ईमानदार, सच्चे, साहसी और प्रोफेशनल पत्रकार थे। यही 4 चीजें पत्रकारिता में सबसे जरूरी है। हमें यह समझना होगा कि मीडिया देश का चौथा स्तंभ है, हमारा काम सबसे गरीब और कमजोर आवाज को सत्ता के गलियारे तक ले जाने का है। जब भी कभी देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपना रास्ता भटके तो हम उन्हें सही कर सकें। उसके लिए हमें भी सीधे रास्ते पर चलना चाहिए।

हर सवाल आम से लेकर तो खास से संबंधित

दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि पत्रकारिता की गंगोत्री से निकलने वाला हर सवाल आम से लेकर तो खास और आदमी से संबंधित होता है। इस दौर में जहां अपराध और राजनीति का आपस मंे संबंध बढ़ रहा है, उस दौर में एक धारणा यह भी है कि कहीं पत्रकार भी इस संगम का हिस्सा तो नहीं है? इस व्याख्यान का उद्देश्य ही इस प्रकार के सवालों पर सार्थक चर्चा करने का है। कार्यक्रम का संचालन दीप्ति कुशवाह और आभार प्रदर्शन दैनिक भास्कर के समन्वय संपादक आनंद निर्बाण ने किया। इस कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिकों, मीडियाकर्मियों, विद्यार्थियों और अन्य वर्ग की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी। 

Created On :   7 Aug 2022 7:41 PM IST

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