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मंत्रिमंडल की बैठकों से गायब रहते हैं ठाकरे सरकार के कई मंत्री
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाविकास आघाड़ी सरकार का कोई भी मंत्री राज्यमंत्रिमंडल की सभी बैठकों में शामिल नहीं हुआ है। गैरहाजिरी के मामले में शिवसेना के मंत्री शंकरवार गडाख सबसे आगे हैं। सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) की तहत यह जानकारी सामने आई है। ‘दांडीमार’ मंत्रियों में डॉ राजेंद्र शिंगणे, उदय सामंत, सुनील केदार, धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, हसन मुश्रीफ. डॉ नितिन राऊत और विजय वडेट्टीवार भी शामिल हैं। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 28 नवंबर 2019 को मंत्रिमंडल की पहली बैठक बुलाई थी। इसके बाद से 23 दिसंबर 2021 तक मंत्रिमंडल की 94 बैठकें हुईं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस बैठकों का ब्यौरा मांगा था। मुख्य सचिव कार्यालय ने गलगली को जो ब्योरा उपलब्ध कराया उसके मुताबिक शुरुआती 8 बैठकों में मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ छगन भुजबल, जयंत पाटील, बालासाहेब थोरात, डॉ नितिन राऊत, एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई ही शामिल थे। उसके बाद मंत्रिमंडल की 86 बैठकें हुईं जिनमें से मृदा व जलसंरक्षण मंत्री शंकरराव गडाख 26 में गैरहाजिर रहे। अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री डॉ राजेंद्र शिंगणे 21, उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत 20, पशुसंवर्धन मंत्री सुनील केदार 20, समाजिक न्यायमंत्री धनंजय मुंडे 19, रोजगार गारंटी मंत्री संदीपान भुमरे 19, ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ 16, पूर्व वन मंत्री संजय राठौड़ 16, ऊर्जामंत्री डॉ नितिन राऊत 15, राहत व पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार 15, कृषिमंत्री दादाजी भुसे 13, शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड 13, गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील १२, वैद्यकीय शिक्षा मंत्री अमित देशमुख १२, ग्राम विकास मंत्री जयंत पाटील 12, सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटील 12, आदिवासी विकास मंत्री एड के सी पाडवी 12, महिला व बालविकास मंत्री एड यशोमती ठाकूर सोनवणे 12, जलआपूर्ति मंत्री गुलाबराव पाटील 11, अन्न नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल 9, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे 9, सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण 9, संसदीय कार्य और परिवहन मंत्री एड अनिल परब 8, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे 8, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे 7, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात 7, वस्त्रोद्योग मंत्री असलम शेख 7, पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख 6, गृहनिर्माण मंत्री डॉ जितेंद्र आव्हाड 5, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई 5, अल्पसंख्याक मंत्री नवाब मलिक 4, मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे 2 और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार 2 मंत्रिमंडल की बैठकों में शामिल नहीं हुए। इसके अलावा कई बैठकों में मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए हाजिरी लगाई और कई बार लिखिति रूप से अनुपस्थिति की भी जानकारी दी।
मंत्रियों को चेतावनी दें पार्टियां
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक राज्यमंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। लॉबिंग करने, हाईकमान को मनाने, क्षेत्र की जनता की ओर से दबाव बनाने जैसी कई रणनीति अपनाई जाती है लेकिन एक बार मंत्री बन गए तो वे मंत्रिमंडल की बैठक में तक शामिल होना जरूरी नहीं समझते। गलगली के मुताबिक मंत्रिमंडल की बैठक महत्वपूर्ण होती है और मंत्रियों के पास अपने विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाकर लोगों को राहत देने का मौका होता है। ऐसे में मंत्रियों की बैठक से अनुपस्थिति नैतिक रूप से भी गलत है। गैरहाजिर रहने वालों में शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा यानी तीनों पार्टियों के मंत्री शामिल हैं ऐसे में जरूरी है कि पार्टियों की ओर से ‘दांडीबहादुर’ मंत्रियों को चेतावनी दी जाए।
Created On :   7 March 2022 6:18 PM IST