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मराठा आरक्षणः सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गरमाई सियासत, विपक्ष ने ठाकरे सरकार पर फोड़ा ठीकरा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण को रद्द करने के फैसले के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। विपक्ष ने मराठा आरक्षण को रद्द होने का ठिकरा सत्ताधारी महाविकास आघाड़ी सरकार के सिर फोड़ दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण रद्द होने के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार है। कोल्हापुर में पाटील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मेंसरकार यह नहीं बता पाई कि मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए असाधारण परिस्थिति कैसे निर्माण हुई है। अदालत में सरकार साबित नहीं कर पाई कि राज्य में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है। पाटील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मराठा समाज के नौजवानों के जीवन में अंधेरा छा गया है। पाटील ने कहा कि मराठा आरक्षण पर सरकार को सर्वदलीय बैठक आयोजित करना चाहिए। सरकार मराठा आरक्षण और कोरोना संकट पर विधानमंडल का अधिवेशन बुलाना चाहिए।
मुख्यमंत्री आरक्षण के पक्ष में नहीं थे- राणे
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा सांसद नारायण राणे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ठाकरे कभी भी मराठा आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। उन्हें मराठा आरक्षण रद्द होने के बाद उन्हें दिल से खुशी हुई होगी। राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि उन्होंने मराठा आरक्षण को कायम रखने के लिए क्या प्रयास किए है। मुख्यमंत्री और तीन दलों की सरकार के कारण मराठा समाज का आरक्षण नहीं मिल पाया है। राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री को आरक्षण के बारे में कुछ समझ नहीं है। आरक्षण कैसे दिया जाता है?सिस्टम और कानून क्या है। यह मुख्यमंत्री को समझ में आएगा क्या? राणे ने कहा कि शिवसेना में कोई भी ऐसा नेता नहीं है कि जिस आरक्षण की बारिकियों की समझ नहीं है। राणे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक है। यदि राज्य में मराठा समाज के मुख्यमंत्री होते तो ऐसा फैसला आने की उम्मीद नहीं थी।
मंत्री अशोक चव्हाण इस्तीफा दें- मेटे
शिव संग्राम के अध्यक्ष विनायक मेटे ने राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री तथा मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण के इस्तीफे की मांग की है। मेटे ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए कई लोगों का बलिदान व्यर्थ चला गया है। इसलिए चव्हाण को इस्तीफा देना चाहिए। मुख्यमंत्री को मराठा आरक्षण को लेकर सरकार की भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए।
गरीब मराठा अपने अधिकार के लड़े-आंबेडकर
वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मराठा समाज अमीर है। मराठा समाज के लोग कई कारखानों के मालिक है। मराठा समाज के लोग बैंकिंग और सहकारिता क्षेत्र में है। इसलिए किसी भी हालत में मराठा समाज को गरीब नहीं कहा जा सकता है। लेकिन मेरा मानना है कि मराठा समाज में अमीर और गरीब दो वर्ग है। आरक्षण की लड़ाई गरीब मराठा की थी। गरीब मराठा अभी तक सामाजिक और राजनीतिक पहचान स्थापित नहीं कर पाया है। इसलिए गरीब मराठा को अमीर मराठा का एक हिस्सा माना जाता है। यदि आरक्षण हासिल करना है तो गरीब मराठा को अपनी अलग पहचान बनानी होगी।
सुपर न्यूमेरी पद्धति से आरक्षण का विकल्प - संभाजी राजे
राज्यसभा सदस्य छत्रपति संभाजी राजेनेकहा कि राज्य सरकार के पास अब मराठा समाज को शिक्षा में सुपर न्यूमेरी (अलौकिक) पद्धति से आरक्षण देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर तय करे कि आरक्षण के लिए और कोई विकल्प है क्या? तब तक के लिए सुपर न्यूमेरी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों को 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जाता है पर महाराष्ट्र को 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण लागू क्यों नहीं किया गया ? इस पर आत्मचिंतन होना चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए। संभाजी राजे ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। यह आदेश मराठा समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। संभाजी राजे ने मराठा समाज से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी में लोगों की मौत हो रही है। हमें पहले लोगों की जान बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। ऐसी स्थिति में कोई विरोध प्रदर्शन की बात किसी को नहीं करना चाहिए।
Created On :   5 May 2021 5:18 PM IST