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मेयर के पास नहीं है मनपा के सदन नेता को हटाने का अधिकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई, कृष्णा शुक्ला। महापौर यानी मेयर के पास महानगरपालिका के सदन के नेता को हटाने का अधिकार नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून मेयर को कोई विकल्प अथवा विशेषाधिकार नहीं देता है कि वहकिसे मनपा का सदन नेता बनाए। मामला भिवंडी निजामपुर महानगरपालिका(मनपा) से जुड़ा है।जहां कोनार्क विकास आघाडी की मेयर प्रतिभा पाटील ने भारतीय जनता पार्टी के नेता श्याम अग्रवाल को महानगरपालिका के सदन के नेता पद से हटा दिया था और उनके स्थान पर नगरसेवक विकास निकम को सदन का नेता नियुक्त किया था। मेयर व मनपा की ओर से पद से हटाने को लेकर 15 व 16 मार्च 2021 जारी पत्र के खिलाफ अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति एए सैय्यद व न्यायमूर्ति एसजी दिघे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया था कि मेयर का याचिकाकर्ता को हटाने का निर्णय मनमानीपूर्ण व अवैध है। यह महाराष्ट्र म्यूनिसिपल कार्पोरेशन अधिनियम(एमएमसी) की धारा 19(1ए) के प्रावधानों के खिलाफ है। इसके अलावा याचिकाकर्ता को हटाने का निर्णय एकतरफा है। इसको लेकर आमसभा में भी चर्चा नहीं की गई है।कोर्णाक विकास आघाड़ी के मेयर ने याचिकाकर्ता के साथ अपने मतभेद को लेकर भाजपा के नेता के पत्र भी लिखा था। मेयर ने याचिकाकर्ता को हटाकर उनकी जगह पर भाजपा की दूसरी नेता की नियुक्ति की थी लेकिन भाजपा की दूसरी नेता ने नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया था। मेयर के मुताबिक याचिकाकर्ता ने उन पर टिप्पणी की थी। वहीं निकम के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल की नियुक्ति नियमों के अनुरुप है।
मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने व तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठने पाया कि मनपा में बदले राजनीतिक समीरकरण के बाद कांग्रेस वहां पर विपक्ष में है और कांग्रेस के नगरसेवक को भिवंडी महानगरपालिका में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है। जबकि नगरसेवक निकम की सदन के नेता के रुप में नियुक्ति कांग्रेस के समर्थन के बाद की गई है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि विपक्ष की सदन के नेता की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था व राजनीतिक सिद्धांत के विपरीत होगा।क्योंकि वहां पर भाजपा के सर्वाधिक 20 नगरसेवक हैं और वह सत्ता में है। नियमानुसार जिसके दल के नगरसेवक की संख्या अधिक होगी उसी का नगरसेवक सदन का नेता होगा। खंडपीठ ने एमएमसी एक्ट के प्रावधानों व कोर्ट के पुराने फैसलों पर गौर करने के बाद अपने आदेश में कहा कि मेयर के पास मनपा के सदन के नेता को हटाने का अधिकार नहीं है। इस मामले में मेयर का निर्णय कानून की कसौटी खरा नहीं उतरता। इसलिए उसे रद्द किया जाता है। इस तरह से खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सदन के नेता पद से हटाने को लेकर 15 व 16 मार्च 2021को जारी पत्र को रद्द कर दिया।
Created On :   20 May 2022 7:08 PM IST