जहां तक संभव हो, सीट बदलने से बचें

MBBS: Avoid seat change as far as possible
जहां तक संभव हो, सीट बदलने से बचें
एमबीबीएस जहां तक संभव हो, सीट बदलने से बचें

डिजिटल डेस्क, नागपुर. एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि चूंकि प्रवेश की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन और कंप्यूटराइज होती है। एक बार विद्यार्थी ने रिटेनशन फॉर्म भर दिया, तो उसका प्रिफरेंस लॉक हो जाता है। जो विद्यार्थी रिटेनशन फॉर्म नहीं भरते उनके पास आगे होने वाले मॉप अप राउंड में हिस्सा लेने का विकल्प होता है। इस प्रक्रिया में कोई भी दखल देने से मेडिकल प्रवेश की इस प्रक्रिया पर व्यापक असर पड़ेगा। इस बात पर जोर दिया जाता है कि एक बार रिटेनशन फॉर्म भरने के बाद विद्यार्थी जहां तक संभव हो, सीट बदलने का प्रयास न करें।

इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने एमबीबीएस के विद्यार्थी दीपक निमगडे की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें छात्र ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की थी कि उसे एमबीबीएस के मॉप-अप राउंड 2 में हिस्सा लेने का एक मौका दिया जाए। उक्त निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने छात्र को कोई भी राहत देने से इनकार करते हुए उसकी याचिका खारिज की है। दरअसल छात्र ने गोंदिया शासकीय चिकित्सा अस्पताल में मिली एमबीबीएस प्रथम वर्ष की सीट छोड़ कर सिंधुदुर्ग शासकीय चिकित्सा अस्पताल में प्रवेश लेने का फैसला लिया। उसने अपना “सीट रिटेंशन’ रद्द कर दिया। दूसरी ओर प्रवेश प्रक्रिया का मॉप राउंड-2 शुरू हुआ। याचिकाकर्ता ने बेहतर कॉलेज में प्रवेश की इच्छा से इसमें हिस्सा लेना चाहा, लेकिन उसे यह कह कर प्रतिबंधित कर दिया गया कि उसने अपना पहला “सीट रिटेंशन’ रद्द कर दिया है। उसे सिंधुदुर्ग के महाविद्यालय में ही प्रवेश लेने का विकल्प दिया गया। ऐसे में छात्र ने सीईटी सेल के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

Created On :   16 April 2022 6:07 PM IST

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