मेडिकल कॉलेज में नहीं है खून जमने से रोकने वाली दवा - एजेंसी से नहीं हो रही आपूर्ति, अब बाजार से होगी खरीदी

Medical college does not have blood clotting medicine - no supply from agency
मेडिकल कॉलेज में नहीं है खून जमने से रोकने वाली दवा - एजेंसी से नहीं हो रही आपूर्ति, अब बाजार से होगी खरीदी
मेडिकल कॉलेज में नहीं है खून जमने से रोकने वाली दवा - एजेंसी से नहीं हो रही आपूर्ति, अब बाजार से होगी खरीदी

डिजिटल डेस्क शहडोल । कोरोना संक्रमण से बचाव तथा उसके बाद की जीवन रक्षक दवाओं के मामले में जिले की स्थिति फिलहाल तो बेहतर होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन मेडिकल कॉलेज शहडोल में इन दिनों कुछ ऐसी दवाओं की कमी बताई जा रही है, जो गंभीर मरीजों के लिए उपयोगी होती है। उस दवा का नाम हेपरइन इंजेक्शन तथा इको इस्प्रिन टेबलेट मौजूदा समय पर मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। वहीं यह भी बताया गया है कि कुछ स्टोराइन दवाएं डेक्सोना आदि की भी कमी है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार जिस एजेंसी को दवा आपूर्ति का ठेका है उसके द्वारा आर्डर के बाद भी आपूर्ति नहीं की जा रही है। इन दवाओं की कमी को देखते हुए आज ही बाजार से लोकल स्तर पर खरीदी के निर्देश कमिश्नर द्वारा जारी किए गए हैं। वहीं कोरोना संक्रमण पर दिए जाने वाली समस्त दवाएं अस्पतालों और खुले बाजार में यानि मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध होने के दावे किए गए हैं।
इनके लिए जरूरी ये दवा
विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर में खून का धक्का जमने की आशंका को रोकने के लिए दवा दो स्टेज में दी जाती है। सीने में अत्यधिक संक्रमण वाले मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्टशन लगने के बाद खून का धक्का जमने की आशंका रहती है। ऐसे मरीजों को डी डायर जांच के बाद डॉक्टर की सलाह पर पेट में हेपर इन 
नामक इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद इको इस्प्रिन नामक टेबलेट 150 से 175 एमजी के डॉक्टर की सलाह पर दिए जाते हैं।
संक्रमण को रोकने ये दवाएं
कोरोना संक्रमण हो जाने पर जो दवाईयां शासकीय अस्पतालों में दी जाती हैं तथा डॉक्टर की सलाह पर निजी तौर पर मरीज खरीददते हैं, उनका पर्याप्त स्टाक बताया जा रहा है। लक्षणों के आधार पर कोरोना मरीजों को बुखार व गले में तकलीफ  होने, गैस होने पर, खून जमने की शिकायत पर, बच्चों को बुखार में दी जाने वाली दवा तथा कोरोना मरीजों को अधिक या बहुत अधिक संक्रमण पर एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी, जिंक सल्फेड 50 एमजी, लिम्सी 500 एमजी, डोलो 650 एमजी, सुप्राडाइन, एसीलॉक, मॉनटेयर एलसीए फाइबर मैक्टिन, फेबीफ्लू दवाएं दी जाती हैं। 
दवाओं की कमी नहीं : संघ
जिला दवा विक्रेता संघ ने दावा किया है कि जिले में किसी प्रकार की दवाओं की कोई कमी नहीं है। संघ के अध्यक्ष उमेश पांडेय ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान उपयोग होने वाली समस्त दवाईयां प्र्रिंट रेट के आधार पर मिल रही हैं। 
इनका कहना है
 शासकीय अस्पतालों के माध्यम से प्रदाय किए जाने वाली समस्त दवाएं स्टोर में उपलब्ध हैं। साथ ही होम आइसोलेशन में मरीजों को दिए जाने वाले किट में सभी दवाएं हैं।     
डॉ. एमएस सागर, सीएमएचओ
 

Created On :   5 May 2021 6:12 PM IST

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