12 सौ किमी सफर कर रोमानिया में दो दिन से फंसा मेडीकल छात्र

Medical student trapped for two days in Romania after traveling 1200 km
12 सौ किमी सफर कर रोमानिया में दो दिन से फंसा मेडीकल छात्र
मंडला 12 सौ किमी सफर कर रोमानिया में दो दिन से फंसा मेडीकल छात्र

डिजिटल डेस्क ,मंडला।रसिया-यूके्रन के बीच छिड़े युद्व के बीच देश के हजारो मेडीकल स्टूडेंट की जान पर बन आई है। गत दिवस रसिया के घातक बमबारी के चलते कर्नाटक के रहने वाले मेडीकल स्टूडेंट की मौत हो गई। यूके्रन में स्थिति और भयानक हो गई है। हजारो की संख्या में फंसे स्टूडेंट वतन वापिसी के लिए हंगरी,रोमानिया में फंसे हुए है। यहां मंडला जिले के घुघरी ब्लाक गांव नैझर से ताल्लुक रखने वाले मेडीकल के 21 वर्षीय स्टूडेंंट नाजेन्द्र डोंगरे अपनी जान बचाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है। 24 फरवरी से युके्रेन की सीमा में युद्व की हलचल शुरू हुई और 26 फरवरी को देश वापिसी के लिए नाजेन्द्र ने टर्नोपिल शहर छोड़ दिया। वह करीब छह सौ किमी का सफर कर पहले हंगरी पहुंचा। जहां उसे मदद नहीं मिलसकी। फिर उसे एबेंसी से जानकारी मिली कि भारत वापिसी की राह रोमरानिया है। दोबारा छह सौ किमी टैक्सी वाहन से सफर कर रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट पहुंचा है जहां करीब दो सैंकड़ा स्टूडेंट के साथ वह फंसा हुआ है। दो दिन गुजर गए लेकिन जैसा कि उसने पालको को बताया है कि वह वहां सुरक्षित है। स्टूडेंट नाजेन्द्र डोंगरे 11 अक्टूबर 2021 को यूके्रन गया हुआ था और टर्नीपिल शहर की टर्नोपिल मेडीकल यूनीवर्सिटी का फस्ट ईयर स्टूडेंट है।
सकुशल वतन वापिसी की प्रार्थना
नाजेन्द्र के पिता एमआर डोगरे जो छिंदवाड़ा में सिंचाई विभाग में लिपिक पदस्थ है। बताया है कि रसिया यूके्रन युद्व की जानकारी न्यूज चैनल से मिली है। शुरूआत में कुछ समझ नहीं आया है यूके्रन की सीमा पर युद्व की हलचल शुरू हुई लेकिन जब हालात अधिक बिगडऩे लगे। रसिया की सेना राजधानी तक हमला करने लगी। बेटे की चिंता सताने लगी। वतन वापिसी के लिए उसने 26 फरवरी से टर्नोपिल शहर छोड़ दिया। किसी तरह से रोमनिया पहुंचा है। जहां भारत एबेंसी के अफसरो के अलावा केन्द्रीय उड्डयन मंत्री ज्योर्तिादित्य सिंधिया व्यवस्थाएं बनाने में लगे। पिता को हर वक्त बेटे की कुशलता की चिंता सता रही है। सुबह शाम उसकी खैरियत जान दिल पर धैर्यता का पत्थर रखकर उसका इंतजार कर रहे है।
 नैझर में मां का दिल व्याकुल हर पल सता रही
मंडला जिले के घुघरी ब्लाक के गांव नैझर में मां मोमवती डोंगरे रहती है। यहां वे प्राथमिक शिक्षक है,उन्होने बताया है कि बेटे को डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा। जब यूके्रन पर हमले की जानकारी मिली है। चार दिन से बेचैन हूं। मेरा बेटा मौत के मुंह में फंसा हुआ है। हर पल उसकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रही हूं। बातचीत के दौरान शिक्षिका मोमवती डोंगरे स्कूल में बच्चो को अध्ययन करा रही थी लेकिन चिंता बेटे की सता रही है। नाजेन्द्र ने मां से वायदा किया है कि भारत लौटने पर सबसे पहले मां से मिलेंगा।
 24 को नहीं थी जानकारी, अब पूछ रहे हालचाल
बताया गया है कि नाजेन्द्र डोंगरे के पिता एमआर डोगरे बालाघाट के रहने वाले है और मां मोमवती डोंगरी घुघरी के गांव नैझर की रहने वाली है। पिता छिंदवाड़ा में ड्यूटी कर रहे है नाजेन्द्र यूके्रन डाक्टरी की पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था। 24 फरवरी को रसिया और यूके्रन के बीच युद्व शुरू हुआ। तब तक प्रशासन के पास यहां के कोई भी छात्र की जानकारी नहीं थी लेकिन चार दिन के बाद जैसे ही पता चला है कि मंडला जिले के दो छात्र नाजेंन्द्र और निखिल खरे यूके्रन में पढ़ाई कर रहे है और निखिल  युद्व से पहले लौट आया है दूसरा रोमनिया में फंसा है। इसके बाद प्रशासन के अभिभावको से हालचाल जाना जा रहा है। भोपाल कंट्रोल रूम से लेकर भारत एबेंसी से नाजेन्द्र के पिता से संपर्क किया जा रहा है। इधर निखिल ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की।

Created On :   2 March 2022 12:27 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story