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दुर्घटना का शिकार होनेवाले पीड़ित को मुआवजा देते समय चोट के अलावा मानसिक आघात का भी रखा जाए ध्यान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वाहन से दुर्घटना का शिकार होनेवाले पीड़ित को मुआवजा प्रदान करते समय शारीरिक चोट के अलावा मानसिक आघात को भी ध्यान में रखना चाहिए। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह बात स्पष्ट की है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से सड़क दुर्घटना का हुई मां-बेटी को दिए गए मुआवजे के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया है। मामले से जुड़ी मां-बेटी साल 2014 में नाशिक महामार्ग में दुर्घटना का शिकार हुई थी। साल 2019 में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को सड़क दुर्घटना का शिकार हुई समीरा पटेल को 20 लाख जबकि उनकी बेटी को जुलेका को 22 लाख रुपए मुआवजा प्रदान किया था। ट्रिब्यीनल के आदेश को बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अपील के मुताबिक सड़क दुर्घटना में दोनों को (मां-बेटी) उस समय काफी गहरी चोट लगी थी जब उनकी कार बीच सड़क में बिना किसी संकेत व सूचना के खडे ट्रेलर से टकरा गई थी। इस हादसे में 37 वर्षीय समीरा की एक आंख की रोशनी चली गई थी और दूसरी विकलांगताए भी पैदा हुई थी। जबकी दुर्घटना चलते बेटी की सुनने की क्षमता प्रभावित हुई थी और उसके चेहरे पर चोट आयी थी। जिसकी सर्जरी करानी पड़ी थी। अपील में समीरा ने कहा था कि उसके जुलेका के अलावा और बच्चे है। दुर्घटना के चलते उसके अपने बच्चों की देखरेख के लिए मजबूरन किसी को और को मदद के लिए रखना पड़ेगा।
न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने बीमा कंपनी की ओर से की गई अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान बीमा कंपनी के वकील ने कहा कि ट्रेलर ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस नहीं था। ट्रेलर के मालिक ने बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया था। इसलिए ट्रेलर मालिक को मुआवजे की रकम देने के लिए कहा जाए। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मुद्दे पर कानून स्पष्ट है कि यदि बीमाधारक ने बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया है तो भी मुआवजा बीमा कंपनी को ही देना होगा बाद में कंपनी भले वह रकम को बीमाधारक से वसूल सकती है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि जुलेका एक खिलाडी थी।दुर्घटना के चलते उसका सुनहरा कैरियर प्रभावित हुआ है। चोट के चलते उसके विवाह पर भी असर पड़ेगा। सड़क हादसे से दोनों(पीडिताए) काफी परेशान है। वे खुद को असहाय महसूस कर रही है। उन्हें जो चोट लगी है उसका असर उनकी मानसिक सेहत पर भी पड़ेगा। इसलिए मुआवजा प्रदान करते समय पीड़त के मानसिक आघात को भी ध्यान रखना चाहिए। इस तरह न्यायमूर्ति ने जुलेका को मिले मुआवजे की रकम को पांच लाख रुपए बढा दिया। और बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया।
Created On :   27 April 2022 8:54 PM IST