शाकाहार, मानवता और शान्ति के दूत दादा जेपी वासवानी का निधन

Messenger of peace, humanity and vegetarianism JP Vasvani died on Thursday morning
शाकाहार, मानवता और शान्ति के दूत दादा जेपी वासवानी का निधन
शाकाहार, मानवता और शान्ति के दूत दादा जेपी वासवानी का निधन

डिजिटल डेस्क, पुणे। समूचे विश्व को मानवता, शांति, शाकाहार  का संदेश देकर जीवन भर इसी के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत दादा जे. पी. वासवानी (99) का गुरुवार की सुबह देहांत हो गया। दादा वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। उनके देहांत से पुणे समेत देश- विदेश के उनके अनुयायियों में शोक व्याप्त है। पुणेे के साधु वासवानी मिशन में उनका पार्थिव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।

दुनिया भर में है कई केन्द्र
बता दें दादा जेपी वासवानी पुणे के साधु वासवानी मिशन के प्रमुख निदेशक थे, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभ-निरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई केंद्र हैं। 2 अगस्त 1918 को हैदराबाद-सिंध में जन्मे दादा बचपन में एक बहुत होनहार छात्र थे, जिन्होंने सुनहरा शैक्षणिक कॅरियर छोड़कर आज के बेहद सम्मानित संत, अपने चाचा और गुरु साधु वासवानी के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया।

 



सभी जीवों के प्रति प्रेम-सम्मान का दिया करते थे संदेश
शाकाहार के प्रबल समर्थक दादा ने गुरुदेव साधु वासवानी के रास्ते पर चलते हुए, सभी जीवों के प्रति सम्मान के संदेश का प्रचार-प्रसार करना अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनके प्रेरक नेतृत्व में साधु वासवानी मिशन ने आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण, ग्रामोत्थान, राहत-बचाव, पशु कल्याण, ग्रामीण विकास तथा समाज के वंचित वर्गों की सेवा के विभिन्न सेवा-कार्यक्रमों के लिए निरंतर गंभीर व प्रबल काम किए हैं। 

 



98 साल की उम्र तक रहे ऊर्जावान
दादा अपने गुरु के इन शब्दों पर दृढ़ विश्वास करते हैं—"निर्धनों की सेवा ही ईश्वर सेवा है।’ विनोदप्रिय वक्ता और प्रेरक लेखक दादा ने 100 से ज्यादा पुस्तक-पुस्तिकाएं लिखी हैं।  98 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं थी। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षाविद् और दार्शनिक दादा जे.पी. वासवानी भारत के ज्ञान और वैश्विक भावना के सच्चे और आदर्श प्रतिरूप हैं।

Created On :   12 July 2018 12:14 PM IST

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