प्रवासी पक्षी प्राकृतिक दुनिया के दूत, संरक्षण आवश्यक: जिला न्यायाधीश

Migratory birds are messengers of natural world, need to be protected: District Judge
प्रवासी पक्षी प्राकृतिक दुनिया के दूत, संरक्षण आवश्यक: जिला न्यायाधीश
कटनी/स्लीमनाबाद प्रवासी पक्षी प्राकृतिक दुनिया के दूत, संरक्षण आवश्यक: जिला न्यायाधीश

डिजिटल डेस्क कटनी/स्लीमनाबाद स्लीमनाबाद तिराहे में निर्माणाधीन मार्केट की जद में आने वाले प्रवासी पक्षियों के पेड़ को बचाने की कार्यवाही शुरु कर दी गई है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर को संज्ञान लेते हुए जिला न्यायाधीश ने कलेक्टर और वन विभाग के अधिकारी को पत्र लिखकर कार्यवाही कर विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करने हेतु लेख किया है। जिला न्यायाधीश और विधिक सेवा प्राधिकरण के
सचिव दिनेश नोटिया ने पत्र में कहा है कि यह खबर अत्यंत आश्यर्च चकित कर देने वाली है कि सर्दियों के मौसम में कई हजार किलोमीटर की दुर्गम दूरी तय करते हुए, उत्तरी एशिया, रूस, कजाकिस्तान तथा पूर्वी साईबेरिया इत्यादि से आने वाले परिन्दे भारत आकर अपना आशियाना बनाते हैं और उनके आशियाने के लियेए उपयुक्त पेड़ों को यदि ऐसे समय में काटने की अनुमति दी
जाती है तो निश्चित ही उनका जीवन संकटापन्न करना है।

पूरे मामले पर एक नजर
बाजार के मुख्य तिराहे में पेड़ में प्रवासी पक्षियों का डेरा दस माह तक बना रहता है। मार्केट को फायदा पहुंचाने के लिए तहसीलदार द्वारा पेड़ काटने की अनुमति दे दी गई थी। यह जानकारी जैसे ही पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों को लगी। उनमें निराशा व्याप्त हो गई।  इस पेड़ की पहचान
पर्यावरणविद मोहन नागवानी ने की। उन्होंने बताया था कि यदि इसी तरह से बगैर सोचे-समझे पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाएगी तो फि र प्रवासी पक्षियों के आशियाने ही समाप्त हो जाएंगे। प्रवासी पक्षियों के लिए यह स्थान सबसे महत्वपूर्ण है। जुलाई से लेकर अपै्रल तक यहां पर पेड़ में दूर-दराज से अलग-अलग प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। ये प्रवासी पक्षी जिले की शान कहलाते हैं। इसके बावजूद पेडों को हटाने की अनुमति देना समझ से परे है।

वन विभाग का अमला भी पहुंचा

यहां पर बहोरीबंद रेंजर बृज मीणा ने भी वन विभाग के कर्मचारियों को भेजकर मौके का जायजा लिया। जिन्होंने बताया कि उक्त पेड़ पर निश्चित ही प्रवासी पक्षी रहते हैं। यदि कहीं से अनुमति दी गई होगी तो उसे निरस्त किया जाएगा। पेड़ काटने की अनुमति तो वन विभाग ही देता है, लेकिन अभी तक विभाग ने अनुमति नहीं दी है। यदि दूसरे विभाग से अनुमति मिली है तो जानकारी ली जाएगी।

Created On :   19 Nov 2022 11:34 AM GMT

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