मंत्री के पास जिला परिषद के कामकाज में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं

Minister does not have the right to interfere in the functioning of the Zilla Parishad - HC
मंत्री के पास जिला परिषद के कामकाज में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
हाईकोर्ट मंत्री के पास जिला परिषद के कामकाज में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया हैकि मंत्री जिला परिषद के कामकाज में दखल देकर शिक्षक के तबादले के आदेश को सिर्फ इसलिए रद्द नहीं कर सकता है। क्योंकि एक शिक्षक ने उसके पास शिकायत की थी। मामला राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री से जुड़ा है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि मंत्री के पास जिला परिषद के कामकाज में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।  इसी के साथ ही कोर्ट ने मामले को लेकर मंत्री की ओर से 15 जनवरी 2021 को जारी किए गए आदेश को रद्द कर दिया है। 

न्यायमूर्ति एसबी सुक्रे व न्यायमूर्ति जीए सानप की खंडपीठ ने कहा कि मंत्री का जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को कुछ शिक्षकों का तबादला रद्द करने के लिए कहना उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। ऐसे में मंत्री के आदेश के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी की ओर जारी किया गया निर्देश कानून के विपरीत है। क्योंकि मंत्री के पास तबादले का अधिकार नहीं है। मंत्री की ओर से जारी आदेश कोल्हापुर जिला परिषद के मुख्यकार्यकारी अधिकारी पर लागू नहीं होता है।  खंडपीठ ने इस मामले में उस शिक्षक पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है जो अपने तबादले के आदेश को लेकर मंत्री के पास गया था। खंडपीठ ने जुर्माने की रकम कोल्हापुर स्थित कलंबा जेल प्रशासन को देने को कहा है और इस राशि का इस्तेमाल जेल की लाइब्रेरी के लिए किताबे खरीदने के लिए कहा गया है। 

इस मामले को लेकर सुषमा पाटील नामक शिक्षक ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने शिक्षक पाटील का कोल्हापुर से गडहिंग्लज स्थित स्कूल में तबादला कर दिया था।इस बीच पाटील को पता चला किउसका तबादला मंत्री के निर्देश पर हुआ है, क्योंकि रियाज मुल्ला नाम का शिक्षक अपना तबादलारुकवाने को लेकर राज्य के ग्रामीण विकासमंत्री से मुलाकात की थी।मुल्ला का भी तबादला कोल्हापुर से गडहिंग्लज किया गया था। जबकि मुल्ला कोल्हापुर में ही रहना चाहता था। मुल्ला से मिलने के बाद मंत्री ने उसका तबादला आदेश रद्द करने को कहा था। मुल्ला के बदले पाटील का तबादला कर दिया गया।याचिका में पाटील ने दावा किया गया था कि उसके पक्ष को सुने बिना ही उसका तबादला कर दिया गया है। खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने व तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि मुल्ला ने इस मामले में कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। लिहाजा उस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। 

 

Created On :   14 April 2022 8:08 PM IST

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