नाबालिग रेप पीड़िता को 29सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं, सरकार को मुआवजा देने का निर्देश 

Minor rape victim not allowed to abort 29-week-old fetus, directs government to pay compensation
नाबालिग रेप पीड़िता को 29सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं, सरकार को मुआवजा देने का निर्देश 
हाईकोर्ट नाबालिग रेप पीड़िता को 29सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं, सरकार को मुआवजा देने का निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 16 साल की दुष्कर्म पीड़िता को 29 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया है लेकिन राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह बच्चे के जन्म तक पीड़िता को एक गैर सरकारी संस्था में रखे और उसे 50 हजार रुपए अंतरिम  मुआवजा प्रदान करे। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने नाबालिग पीड़िता के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया है। याचिका में नाबालिग को गर्भपात कराने की अनुमति देने की मांग की गई थी। इससे पहले कोर्ट के सामने नाबालिग की जांच करनेवाले मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि नाबालिग को फिलहाल गर्भपात की इजाजत दी जाती है तो बच्चे के जीवित पैदा होने की संभावना है और उसके कई तरह के बीमारियों से पीड़िता होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। बोर्ड पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने के पक्ष में नहीं था।

खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया पीडिता का पिता दिहाडी मजदूर है। पीड़िता की मां का काफी पहले निधन हो गया था। ऐसी स्थिति में पीड़िता की देखरेख करनेवाला कोई नहीं है। लिहाजा हम राज्य सरकार को निर्देश देते है कि राज्य सरकार पीड़िता को बच्चे के जन्म तक कांजुरमार्ग स्थित वात्सल्य ट्रस्ट में रखे। ट्रस्ट बच्ची का ख्याल रखे और उसे बुनियादी चीजे प्रदान करे। इसके साथ ही डिलवरी का समय आने पर उसे सरकारी व मनपा के अस्पताल में भर्ती करे। पीड़िता के मामले से जुड़े दस्तावेज जिला विधि सेवा प्राधिकरण के पास रखे जाए। जिससे उसे मनोधैर्य योजना के तहत उचित मुआवजा मिल सके। खंडपीठ ने फिलहाल राज्य सरकार को दस दिनो के भीतर याचिकाकर्ता के खाते में अंतरिम मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपए जमा करने का निर्देश दिया है। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात हाईकोर्ट की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 


 

Created On :   10 May 2022 6:50 PM IST

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