न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हो यौन उत्पीड़न के शिकार नाबालिग, हाईकोर्ट का विशेष बाल पुलिस इकाई को निर्देश 

Minor victims of sexual harassment should involved in judicial process
न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हो यौन उत्पीड़न के शिकार नाबालिग, हाईकोर्ट का विशेष बाल पुलिस इकाई को निर्देश 
न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हो यौन उत्पीड़न के शिकार नाबालिग, हाईकोर्ट का विशेष बाल पुलिस इकाई को निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पाक्सो ) के प्रभावी अमल के लिए विशेष बाल पुलिस इकाई (एसजेपीयू) को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि यौन उत्पीड़न का शिकार नाबालिग कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हो। कोर्ट ने एसजेपीयू को  नाबालिग पीड़ित के इस अधिकार का संरक्षण करने के साथ ही हाईकोर्ट ने पाक्सो कानून के प्रभावी अमल के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा है कि यदि एसजेपीयू पीड़ित नाबालिग के घरवालों, सरंक्षक व उसके वकील को न्यायालय में जारी कार्यवाही के बारे में जानकारी देने में विफल रहती है तो वह इसकी जानकारी संबंधित कोर्ट को कारण सहित लिखित रुप में दे। खंडपीठ ने अपने इस फैसले की प्रति राज्य के सभी सत्र न्यायालय,राज्य के पुलिस महानिदेशक,पुलिस अधीक्षक, डायरेक्टर आफ प्रासिक्यूसन व महाराष्ट्र विधि सेवा प्राधिकरण को भेजने का निर्देश दिया है। 

खंडपीठ ने यह फैसला यौन उत्पीड़न का शिकार होनेवाले बच्चों के लिए काम करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन मालगे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। याचिका में दावा किया गया था कि पाक्सो कानून में ऐसा प्रावधान है जिसके तहत पुलिस को पीड़ित को न्यायालय की कार्यवाही के बारे में जानकारी देना जरुरी है। जिसके तहत आरोपी की ओर से दायर किए जानेवाले जमानत आवेदन की सूचना देना भी आवश्यक है। लेकिन पाक्सो कानून से जुड़े इन प्रावधानों को अमल में लाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। जबकि यह बाल न्याय के लिए जरुरी है।

खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि अभियोजन पक्ष की ओर से नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले को लेकर कोई आवेदन दायर किया जाता है तो इसकी जानकारी पीड़िता के घरवालों व उसके वकील को देना जरुरी है। ताकि वह न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हो सके। खंडपीठ ने कहा कि यदि नोटिस जारी करने के बाद भी पीड़ित पक्ष की ओर से कोई भी अदालत नहीं आता है तो कोर्ट मामले की सुनवाई कर सकती है। 
 

Created On :   8 April 2021 8:44 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story