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किसानों की बदकिस्मती नहीं छोड़ रही पीछा, मौत के बाद भी पात्र-अपात्र का अड़ंगा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसानों की बदकिस्मती मरने के बाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। किसान आत्महत्या रोकने और कर्जमाफी के आश्वासनों पर सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि किसान की स्थिति नहीं बदली। आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में किसान आत्महत्या की जो रफ्तार थी, वही युति सरकार के समय रही। सरकार में कोई फर्क नहीं आया। सरकार किसानों को न्याय दिलाने में असफल रही। जीते-जी तो किसानों को न्याय नहीं मिला, मरने के बाद भी न्याय के लिए तरसता दिखा। 2001 से 2019 तक नागपुर जिले में 784 किसानों ने आत्महत्या की। इसमें से सरकार ने 292 आत्महत्या को ही सरकारी मदद के योग्य पाया, यानी इन आत्महत्याओं को पात्र ठहराया गया। शेष 483 किसान आत्महत्या को अपात्र घोषित कर दिया गया है। इन पीड़ित परिवारों को सरकार से कोई मदद नहीं मिल पाई। किसान आत्महत्या के बाद भी संबंधित पीड़ित परिवार सरकारी लालफीताशाही का शिकार हो रहा है।
मृतकों के आंकड़े में फर्क नहीं
वर्ष 2009 से 2014 तक आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में नागपुर जिले में 272 किसानों ने आत्महत्या की थी। वर्ष 2015 से 2019 तक युति सरकार के कार्यकाल में 247 किसानों ने खुदकुशी की। आंकड़ों में कुछ कम ज्यादा हो सकता है, लेकिन स्थिति समान है। उस समय भी किसान आत्महत्या कर रहा था, आज भी आत्महत्या कर रहा है। कर्जमाफी सहित विविध योजनाएं भी उनकी आत्महत्याएं रोकने में सफल नहीं हो पा रही है। बड़ी वजह, किसानों को उनके उपज का भाव नहीं मिलना है।
कर्जमाफी योजना पर फिर उठे सवाल
पिछले अनेक वर्षों में किसान, केंद्र व राज्य सरकार के केंद्र बिंदू में रहा है। खासकर विधानमंडल का नागपुर अधिवेशन किसानों के नाम गूंजता रहा है। उसके लिए समय-समय पर सरकार ने मदद की घोषणाएं भी की, लेकिन किसानों के हालात नहीं बदले। कभी किसान सरकारी लालफीताशाही का शिकार हुआ तो कभी अॉनलाइन की झंझटों में फंस गया। नागपुर अधिवेशन में इस बार फिर नया पैकेज मिला। शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की महाविकास आघाड़ी ने किसानों का 2 लाख रुपए तक कर्ज माफ करने की घोषणा की।
27 दिसंबर को इस संबंध में शासकीय परिपत्रक भी हो गया है। प्रशासनिक स्तरों पर इसके लिए काम भी शुरू हो गया है। जिन किसानों का 2 लाख तक कर्ज है, उन्हें इसका फायदा होगा, लेकिन 2 लाख रुपए से एक रुपए भी ज्यादा होने पर लाभ नहीं मिल पाएगा। इससे लाखों किसानों के कर्जमाफी से वंचित रहने की आशंका है। किसान नेता और कृषि विशेषज्ञ योजना को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। सरकार से आश्वासन मिला है कि जल्द 2 लाख रुपए से अधिक कर्जदार किसानों के लिए विचार किया जाएगा।
Created On :   30 Dec 2019 12:14 PM IST