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एस्सार को मित्तल ने दिखाई आंखें - एक अप्रैल से प्लांट बंद करने की आ जाएगी नौबत
- लांग टर्म कोयला न मिलने से बिजली उत्पादन पर लगा ग्रहण - विस्थापितों की छंटनी से ताला लगने की खबरों को मिला बल - रेगुलर स्टाफ को भी भेजा जा रहा गुजरात
डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। कहावत है सांझे का धंधा हर किसी को नहीं फलता। यह, एस्सार पावर प्लांट और महान एल्युमीनियम हिंडाल्को बरगवां पर लागू होती है। दोनों को संयुक्त रूप से मिला महान कोल ब्लॉक क्या निरस्त हुआ? इनकी कमर ही टूट गई। हिंडाल्को के प्रबंधन ने अपने कौशल से किसी तरह प्लांट को रन तो कर लिया लेकिन एस्सार इस झटके से आज तक उबर नहीं पाया। जैसे तैसे चल रहे इस पावर प्लांट को अब आर्सेलर मित्तल ने आंखें दिखा दी है। कहा जा रहा है कि मित्तल ने दो टूक शब्दों में बता दिया है कि मार्च के बाद वो एस्सार के सिंगरौली पावर प्लांट की बिजली नहीं लेने वाला। इस फरमान के आते ही एस्सार के बंधौरा सिंगरौली स्थित पावर प्लांट में ताला लगने की घड़ी निकट आ गई है।
एस्सार ने सिंगरौली के बंधौरा में अपना केपेटिव पावर प्लांट शुरू किया था, इसके लिए 2007 से यहां काम प्रारंभ हुआ। इसकी बिजली एस्सार के हजीरा गुजरात स्थित स्टील प्लांट में जानी थी। पावर प्लांट को कोल लिंकेज महान कोल ब्लॉक अमिलिया से मिला। यह लिंकेज संयुक्त रूप से था, यानी यहां का कोयला महान एल्युमीनियम हिंडाल्को बरगवां को भी जाना था। दोनों ने इसके लिए मिलकर महान कोल कंपनी का गठन किया लेकिन संयुक्त उपक्रम होने के कारण कोल ब्लॉक की प्रक्रिया शुरू होने में काफी लेटलतीफी की गई। इसके बाद ग्रीनपीस के आंदोलन ने यहां कार्पोरेट के पैर नहीं जमने दिये। 2014 में केन्द्र में मोदी सरकार आने पर कोल गेट के दायरे में आए इस कोल ब्लॉक का आवंटन भी निरस्त हो गया। इधर, पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण और खरीदने को लेकर एस्सार को ग्रामीणों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ा।
12 में आई थी पहली यूनिट
एस्सार पावर प्लांट के फस्र्ट स्टेज में 1200 मेगावाट यानी 600 मेगवाट क्षमता वाली दो यूनिट लगनी थीं। पहली यूनिट यहां दिसंबर 2012 में शुरू हुई तो दूसरी यूनिट मई 2017 में आ सकी। इन दोनों की बिजली एस्सार के हजीरा स्थित स्टील प्लांट में जा रही थी।
कोयले ने बिगाड़ा खेल
एस्सार के लिए सिंगरौली में बिजली उत्पादन शुरू से घाटे का सौदा साबित हुआ। कोल लिंकेज न मिलने से इसे ऑक्शन पर निर्भर रहना पड़ा। महंगा कोयला खरीदने और सडक़ मार्ग से परिवहन के चक्कर में प्लांट कभी फुल लोड पर चल ही नहीं पाया। एक जनवरी 2020 से हालात यह हैं कि एक यूनिट बंद पड़ी है तो दूसरी यूनिट से महज 200 और 230 मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हो पा रहा है। कम बिजली उत्पादन के कारण एस्सार की रूचि न तो कोयला उठाने में रह गई है और ना ही उसके सडक़ मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन में। गजरा बहरा में हाल ही बनाई गई कोल साइडिंग भी इसके लिए अच्छे दिनों का संदेश नहीं ला सकी।
नहीं चाहिए तुम्हारी महंगी बिजली
जानकारों के अनुसार एस्सार का हजीरा स्थित स्टील प्लांट 42000 करोड़ में आर्सेलर मित्तल ने खरीदा। प्लांट बिकने की प्रक्रिया जब शुरू हुई थी तभी इस बात को बल मिल गया था कि यदि मित्तल ने सिंगरौली का पावर प्लांट नहीं खरीदा तो एस्सार के पास इसे बंद करने के अलावा विकल्प नहीं बचेगा। कहा जाता है कि मित्तल ने पावर प्लांट खरीदने के लिए भी कदम बढ़ाए थे लेकिन जब उनकी तकनीकी टीम ने कोल लिंकेज न होने के कारण पेश आ रही दिक्कतों का ब्यौरा दिया तो मित्तल ने अपने कदम पीछे ले लिए। सूत्रों की मानें तो दिसंबर माह में ही मित्तल ने यह साफ कर दिया था कि मार्च से एस्सार के सिंगरौली प्लांट की बिजली नहीं ली जाएगी। यह बिजली बहुत महंगी पड़ रही है। मित्तल के इशारे देखकर ही एस्सार ने एक जनवरी को ही जहां चार सौ विस्थापितों को काम से निकाल दिया, वहीं अपने रेगुलर कर्मचारियों को भी गुजरात स्थित दूसरे प्लांट में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। एस्सार की कार्रवाई यह बता रही है कि एक अप्रैल से प्लांट में ताला लगने जा रहा है। हालांकि, इस संबंध में एस्सार का कोई भी अधिकृत अधिकारी बयान देने उपलब्ध नहीं
Created On :   11 Feb 2020 3:06 PM IST