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नागपुर-नाशिक में सड़कों पर रहने वाले बच्चों को शिक्षा देगा चलता-फिरता दस्ता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के नागपुर, नाशिक सहित छह जिलों में सड़कों पर रहने वाले बच्चों को शिक्षा और समाज के मुख्य प्रवाह में लाने के लिए चलता-फिरता दस्ता (फिरते पथक) परियोजना चलाई जाएगी। सोमवार को राज्य के महिला व बाल विकास विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। जिसमें चलता-फिरता दस्ता परियोजना लागू करने के बारे में दिशानिर्देश दिए गए हैं। यह परियोजना नागपुर, नाशिक, पुणे, ठाणे, मुंबई शहर और मुंबई उपनगर में लागू की जाएगी। परियोजना के तहत इन छह जिलों में एक बाल स्नेही (अनुकूल) बस अथवा वैन उपलब्ध कराना होगा। बस अथवा वैन पर महिला व बाल विकास विभाग अंतर्गत - "फिरते पथक' यह लाइन लिखनी होगी। प्रत्येक बस अथवा वैन की आसन क्षमता 25 बच्चों की होगी। इस वाहन में सीसीटीवी कैमरा और निगरानी प्रणाली सुविधा होगी। संबंधित जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को जिले में सड़कों पर रहने वाले बच्चों के साथ काम करने वाले एक स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) के सहयोग से परियोजना को चलाना होगा। इस परियोजना की अवधि छह महीने रहेगी। यह परियोजना लागू करते समय पहले बच्चों के अभिभावकों को विश्वास में लेना पड़ेगा। बच्चों का आधार कार्ड बनवाना होगा। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी प्रत्येक बच्चों को उनकी आयु वर्ग के अनुसार शिक्षा और आहार एनजीओ की मदद से उपलब्ध करना होगा। छह साल से कम आयु के स्कूल न जाने वाले बच्चों को पास के आंगनवाड़ी में दाखिल करना होगा।
परियोजना के तहत बच्चों को खेल व शैक्षणिक सामग्री, गाना, चित्रकला, नृत्य, कहानी आदि द्वारा पढ़ाई की आदत लगाना होगा। इसके बाद बच्चों को नियमित स्कूल अथवा आंगनवाड़ी में भेजने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। बस अथवा वैन का समय सुबह 9 से शाम 6 बजे के बीच होगा। लेकिन इसका समय बच्चों के स्कूल के समय के अनुसार निश्चित करना होगा। जिससे के बच्चे स्कूल में पढ़ाई का भी लाभ ले सकें। जिले अथवा शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में जहां सड़कों पर रहने वाले बच्चे अधिक हो ऐसे जगहों पर वाहन को घुमाना होगा। इस परियोजना के तहत चलता-फिरता वाहन प्रति दिन किस इलाके में घुमेगा। इसकी जानकारी पास के पुलिस स्टेशन में देनी होगी। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को एनजीओ की मदद से प्रत्येक बस अथवा वैन के लिए एक शिक्षक अथवा शिक्षिका, एक काउंसलर, एक वाहन चालक, एक वाहक कुल मिलाकर चार कर्मचारियों को मानधन पर नियुक्त करना होगा। इन चार में से कम से कम दो कर्मचारी महिला होनी चाहिए।
शिक्षक और काउंसलर को हर दिन बच्चों की हाजिरी की जानकारी जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को देनी होगी। बस अथवा वैन में आने वाले बच्चों को पास के सरकारी स्कूलों में दाखिल करने के लिए शिक्षक और काउंसलर को प्रयास करना होगा। साथ ही आहार शिक्षा के अतिरिक्त जैसे कुपोषण, शारीरिक समस्या होने पर बच्चों को संबंधित सरकारी योजना का लाभ दिलाने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद लेनी होगी। शिक्षक और काउंसलर को बच्चों का सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तैयार करके जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को देना होगा। जिसके बाद जिला महिला व बाल विकास अधिकारी आवश्यकता के अनुसार रिपोर्ट को बाल कल्याण समिति को सौंपेंगे। यह परियोजना चलाते समय बच्चों की सुरक्षा का ध्यान जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को रखना पड़ेगा। अनाथ व अकेले बच्चे का नियमित काउंसलिंग करके बाल कल्याण समिति के आदेश से संस्था में दाखिल करना होगा। कोविड टीके के लिए पात्र बच्चों का टीकाकरण करना होगा। बस अथवा वैन में बच्चों के मनोरंजन के लिए आवश्यक सामग्री एनजीओ से दान में लेनी होगी। यदि संभव नहीं हुआ तो सरकार की निधि खर्च करनी की अनुमति होगी। एनजीओ को बस अथवा वैन के बच्चों का ब्यौरा अपेडट रखकर जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को प्रत्येक महीने की 5 तारीख तक सौंपना होगा। फिर जिला महिला व बाल विकास अधिकारी वह रिपोर्ट हर महीने 10 तारीख तक महिला व बाल विकास आयुक्त को सौंपेंगे।
राज्य सरकार का कहना है कि सड़कों पर रहने वाले बच्चों का ख्याल और सुरक्षा की जरूरत है। उन्हें शिक्षा और समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चलता-फिरता दस्ता परियोजना लागू करने का फैसला लिया गया है। राज्य सरकार की ओर से एकात्मिक बाल संरक्षण योजना के तहत अभिनव कार्यक्रम लागू करने के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस परियोजना को लागू करने के लिए 50 लाख रुपए की मंजूरी दी है। इसके अतिरिक्त लगने वाले खर्च का वहन राज्य के बाल न्याय निधि से किया जाएगा। शासनादेश के मुताबिक केंद्र सरकार से निधि उपलब्ध होने तक फिलहाल परियोजना के खर्च बाल न्याय निधि से चलाया जाएगा। जिला महिला व बाल विकास अधिकारी को राशि उफलब्ध कराकर बस अथवा वैन, कर्मचारी, सुविधा और स्वयंसेवी संस्था के बारे में जिला स्तर पर टेंडर जारी किए जाएंगे। राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए बस अथवा वैन, काउंसलर, शिक्षक, वाहन चालक, वाहक, शैक्षणिक और खाद्य सामग्री के लिए 11 लाख 92 हजार 500 रुपए अनुमानित खर्च निश्चित किया है। जबकि इस परियोजना के लिए छह महीने का खर्च 71 लाख 55 हजार रुपए है।
Created On :   19 Dec 2022 9:54 PM IST