आधुनिक संसाधनों ने खेती कार्य में कम की बैलों की जरूरत

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बदलता दौर आधुनिक संसाधनों ने खेती कार्य में कम की बैलों की जरूरत

डिजिटल डेस्क, नागपुर. वर्षों पहले किसानों की संपत्ति उनके पालतू मवेशी माने जाते थे। खासकर हल जोतने के लिए बैल अहम होते थे। जिन किसानों के पास बैल होते थे, उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम माना जाता था, इसलिए इन्हें किसानों का पशुधन भी कहा जाता था। इनका सम्मान करने के लिए पोला त्योहार मनाया जाता है। इस दिन इन्हें सजा-धजा कर इनकी पूजा भी की जाती है, लेकिन अत्याधुनिक संसाधनों के कारण धीरे-धीरे पशुधन की जगह मशानों ने लेनी शुरू कर दी है। वर्तमान स्थिति में ज्यादातर किसान हल जोतने के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करने लगे हैं। जिसके कारण बैलों की संख्या कम हो रही है। यही कारण है कि अब शहरों की सड़कों पर पोले के दिन भी बैल घुमाते काफी कम किसान दिखाई देते हैं।

कम समय में ज्यादा काम
नागपुर जिले में कुल 13 तहसील हैं, जिसमें 1900 से ज्यादा छोटे-छोटे गांव हैं। इन गांव में रहने वाले किसान नौकरी, व्यवसाय के अलावा पारंपरिक पद्धति से खेती-किसानी भी करते हैं। कुछ समय पहले तक किसानों के पास पशुधन का भंडार था। हर घर में गाय, भैंस, बकरी के साथ कम से कम दो बैलों की जोड़ी होती थी, ताकि उन्हें इनके सहारे खेतों में हल चलाने में मदद मिले। बैलों के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अत्याधुनिक युग में तेजी से बदलाव होते चला गया, जिसमें बैलों की जगह मशीनें ले रही हैं। आज हर गांव में खेती व अन्य कामों के लिए ट्रैक्टर आदि उपकरणों का उपयोग किया जाने लगा है। जिसका मुख्य कारण कम मेहनत और कम समय में किसानों का काम हो जाता है। यही कारण है कि किसान पशु पालन से विमुख होते चले गए। बहुत कम किसान हैं, जो बैलों का पालन-पोषण कर रहे हैं।

पशु संवर्घन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार 20वीं पशु गणना में राज्य के नागपुर जिले में 4,91,030 दुधारू जानवरों की संख्या दर्ज की गई है। इनमें से 4,18,548 गाय, बैल और 72,482 भैंसों का समावेश है, वहीं मनपा के शहरी सीमा क्षेत्रों में 6948 गाय, बैल और 8419 भैसों समेत कुल 15,367 दुधारू जानवर दर्ज किए गए हैं। इसमें केवल बैलों की बात करें, तो 1 लाख 810 बैल ही बचे हैं। 5 साल पहले यानी वर्ष 2012 में हुई पशु गणना में 5 लाख 52 हजार पशुओं की संख्या दर्ज की गई थी। यानी पांच साल के भीतर 50 हजार से ज्यादा पशुओं की संख्या कम हुई है। इसमें सबसे तेजी से बैलों की संख्या कम हुई है।

तेजी से कम हो रही खेती करने वालों की संख्या

मंजूषा पुंडलिक, उपायुक्त, पशु संवर्धन विभाग के मुताबिक खेती करने वालों की संख्या तेजी से कम हो रही है। इसके अलावा वर्तमान स्थिति में की जाने वाली खेती में अत्याधुनिक संसाधनों का उपयोग ज्यादा होता है। इससे पशुओं की जरूरत पहले की तुलना में कम पड़ती है। यही नहीं, कई लोगों के पास अब खेती के बंटवारे होने से जमीन नहीं रही है, जिससे भी पशुओं की संख्या कम हो सकती है।


 

Created On :   28 Aug 2022 5:49 PM IST

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