साहूकार की यातना है एक सामाजिक बुराई

Moneylenders torture is a social evil - HC
साहूकार की यातना है एक सामाजिक बुराई
हाईकोर्ट साहूकार की यातना है एक सामाजिक बुराई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। साहूकार की प्रताड़ना से तंग आकर कर्जदार के आत्महत्या करने को बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक बुराई माना है। मामला कर्जदार को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों का सामना कर रहे आरोपी संघर्ष गवहाले से जुड़ा है। गवाहाले ने खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक प्रीतम शाह नाम के शख्स ने गवहाले की लगातार यातना से तंग आकर कीटनाशक पीकर आत्महत्या नवंबर 2020 में कर ली थी। शाह ने अपने कारोबार के लिए घर को गिरवी रखकर गवहाले से कर्ज लिया था।  शाह के परिवारवालों के मुताबिक शाह नियमित तौर पर अपने कर्ज की किस्त गवहाले को दे रहे थे। फिर भी उन्हें पैसे के लिए धमकी भरे फोन किए जा रहे थे। जिससे शाह कापी मानसिक तनाव में थे। 

याचिका व मामले से जुड़े तथ्यों तथा एफआईआर पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने कहा कि कर्ज कि किस्त देने के बावजूद शाह को परेशान किया जा रहा था। जिससे तंग आकर शाह ने 1 नवंबर 2020 को आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाया। जबकि आत्महत्या से पहले लिखा पत्र दर्शाता है कि शाह नियमित रुप से कर्ज पर तय ब्याज की रकम का भुगतान कर रहे थे। फिर भी शाह को प्रताड़ित किया जा रहा था। इस दौरान खंडपीठ ने महाराष्ट्र मनी लेंडिंग अधिनियम 2014 के प्रावधानों पर भी गौर किया। खंडपीठ ने कहा कि यह कानून साहुकार की प्रताड़ना को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाया गया था। ऐसे में किसी साहुकार की यातना से तंग आकार किसी कर्जदार का आत्महत्या करना एक सामाजिक बुराई है। इसलिए फिलहाल आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। लिहाजा अब आरोपी को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। 

 

Created On :   12 Oct 2021 9:55 PM IST

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