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वायु प्रदूषण रोकने बनेंगे मॉनिटरिंग सिस्टम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) अब देश के बड़े शहरों की तर्ज पर विदर्भ के नागपुर में वायु प्रदूषण नापने के लिए 3 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन शुरू करने जा रहा है। 24 बाय 7 मॉनिटरिंग से वायु प्रदूषण की पल-पल की जानकारी सार्वजनिक होगी। ये केंद्र प्रदूषण का स्तर चेक करने के साथ सारे आंकड़े रियल टाइम पर अपडेट करेंगे। तीनों नए मॉनिटरिंग स्टेशन जनवरी तक शुरू हो जाएंगे। क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करने अलग-अलग जगहों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे। इसके इतर, केंद्र सरकार ने भी देशभर के प्रमुख शहरों में शुद्घ हवा बनाए रखने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्लान- ‘शुद्धता’ (एनकैप) योजना आरंभ की है। इसके तहत दो साल पहले उपराजधानी को भी पर्यावरण संवर्धन के लिए 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इनमें से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 3.60 करोड़, नीरी को वाटर स्प्रिंक्लर के लिए 1 करोड़ रुपए और शेष राशि मनपा को दी गई है। इसमें 75 लाख रुपए से तीन सतत वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इन मॉनिटरिंग स्टेशनों में 24 घंटे हवा की गुणवत्ता की निगरानी और मूल्यांकन होगा। इसके साथ ही हवा में मिश्रित धूलकण (पीएम 2.5) श्वसन में पहुंचने वाले धूलकण (पीएम 10) समेत सल्फर आक्साइड और नाइट्रोजन की भी निगरानी होगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक जनवरी तक तीनों स्टेशन तैयार हो जाएंगे। फिलहाल, नेशनल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम के अंतर्गत देश के 126 शहरों में 341 स्टेशनों के माध्यम से प्रदूषण की जांच होती है। इसके नागपुर में शुरू होने के बाद कार्बन मोनो ऑक्साइड, बैंजीन, जाइलीन, ओजोन के साथ-साथ हवा की गति, दिशा, दबाव, तापमान और आर्द्रता का पता चल सकेगा। पंचतत्वों में सबसे गतिशील वायु को माना जाता है। इसकी प्रकृति समान भाव से स्पर्श के साथ निर्लिप्तता है। विदर्भ ने इस पंचतत्व से यही सीख ली है। यहां औद्योगिक विकास के साथ प्राणवायु ऑक्सीजन की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।
फिलहाल 4 जांच केंद्र
विदर्भ के नागपुर में फिलहाल 4 मैन्युअल मॉनिटरिंग स्टेशन हैं। अब शहर में 3 नए कंटीन्यूस मॉनिटरिंग स्टेशन बनने जा रहे हैं, जो महल, वीएनआईटी और एलआईटी में स्थापित किए जाएंगे। जिससे वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जा सकेगी।
इकोफ्रेंडली अंतिम संस्कार से रोका जा रहा वायु प्रदूषण
विदर्भ की पहचान देशभर में एक नए रूप में भी की जाने लगी है। नागपुर में इकोफ्रेंडली अंतिम संस्कार करके न केवल वायु प्रदूषण कम किया जा रहा है बल्कि वनों को कटाई से बचाने का भी संदेश दिया जा रहा है। शहर के इकोफ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन के अध्यक्ष विजय लिमये ने 6 वर्ष पूर्व यहां इकोफ्रेंडली अंतिम संस्कार की कल्पना को साकार रूप दिया था। इसके तहत एग्रोवेस्ट मटेरियल से ब्रिकेट तैयार कर अब तक हजारों शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। संस्था ने एग्रो वेस्ट मटेरियल से तैयार ब्रिकेट को मोक्षकाष्ठ नाम दिया है। मोक्षकाष्ठ से अंतिम क्रिया देखने देश के अलग-अलग हिस्सों से स्वयंसेवी आ रहे हैं और इस अभिनव पहल को अपने क्षेत्र में भी अपना रहे हैं। शुरुआत में नागपुर के दो घाटों पर ही मोक्षकास्ट इस्तेमाल किए जा रहे थे लेकिन अब 6 घाटों पर इससे अंतिम क्रियाएं पूरी हो रही हैं। मोक्षधाम, गंगाबाई, अंबाझरी, मानकापुर, सहकार नगर और मानेवाड़ा घाट में मोक्षकाष्ठ नि:शुल्क दिया जाता है।
फसलों के अवशिष्ट से बनाए जा रहे मोक्षकाष्ठ
सोयाबीन, कपास, तुअर, मूंगफली जैसी फसलें काटने के बाद शेष कचरे को एकत्र कर मशीन के द्वारा ब्रिकेट बनाए जाते हैं। इसे मोक्षकाष्ठ नाम दिया गया है। लगभग 1 फीट के ब्रिकेट का वजन 1 किलोग्राम होता है। फैक्टरी में तैयार होने के बाद इसे बोरियों में जमाकर शव की अंतिम क्रिया के उपयोग हेतु श्मशान घाट भेजा जाता है।
किसानों को आय, रोजगार भी
पहले किसान फसल कटाई के बाद वेस्ट एग्रो मटेरियल में आग लगा देते थे। अब इसके लिए प्रति एकड़ 1,500 से 2,000 रुपए तक किसानों को दिए जा रहे हैं। ब्रिकेट बनाने से लेकर इसके परिवहन तक में नए रोजगार का सृजन भी हुआ है। नागपुर शहर से 60 किमी दूर भंडारा के पास डेढ़ एकड़ क्षेत्र में इसकी निर्माण यूनिट है।
Created On :   9 Dec 2021 5:40 PM IST