सिर्फ 2 दिनों का होगा मानसून सत्र, विपक्ष ने कहा - कोरोना संकट को ढाल बना रही सरकार

Monsoon session will be for only 2 days, opposition said - Government is shielding Corona crisis
सिर्फ 2 दिनों का होगा मानसून सत्र, विपक्ष ने कहा - कोरोना संकट को ढाल बना रही सरकार
सिर्फ 2 दिनों का होगा मानसून सत्र, विपक्ष ने कहा - कोरोना संकट को ढाल बना रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में कोरोना महामारी की स्थिति और तीसरी संभावित लहर के संभावित खतरे को देखते हुए महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून अधिवेशन केवल दो दिनों का होगा। मानसून सत्र की शुरुआत 5 जुलाई को होगी। जबकि 6 जुलाई को सत्रावसान हो जाएगा। मंगलवार को विधानभवन प्रांगण में विधानमंडल कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में केवल दो दिन सदन चलाने का फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार समेत वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे। विपक्ष के नेताओं ने इसका विरोध किया और बैठक से बाहर निकल गए। सूत्रों के अनुसार बैठक में विपक्ष के सदस्य अधिवेशन के कामकाज की अवधि सिर्फ दो दिन होने को लेकर सरकार पर जमकर बरसे। इस दौरान सत्ताधारी दलों के मंत्री चुपचाप बैठे रहे। विपक्षी सदस्य चाय और नाश्ता किए बिना बैठक से बाहर निकल पाए। 

कोरोना संकट को ढाल बना रही सरकारः फडणवीस 

विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब भी विधानमंडल का सत्र आता है। सरकार कोरोना महामारी का बहाना बनाकर अधिवेशन की अवधि को कम करके जनता के सवालों का जवाब देने से भागने की कोशिश करती है। दूसरी ओर पुणे में सत्ताधारी राकांपा के कार्यालय के उद्धाटन में हजारों लोग जुटते हैं तो कोरोना नहीं फैलता है। फडणवीस ने कहा कि सरकार ने केवल दो दिन का अधिवेशन बुलाने का फैसला किया है। इसलिए विपक्ष ने विधानमंडल कामकाज सलाहकार समिति की बैठक का बहिष्कार किया। फडणवीस ने कहा कि सरकार के मंत्री सत्ता के मद में चूर और मदमस्त हैं। जबकि प्रशासन सोया हुआ नजर आ रहा है। फडणवीस ने कहा कि सत्ताधारी तीनों दलों को आपसी झगड़ा आपस में निपटाना चाहिए। सत्ताधारी दल एक- दूसरे को जूता मारे, हार फूल पहनाए या फिर गले मिलकर झगड़ा खत्म करें लेकिन जनता को गड्डे में न डालें। फडणवीस ने कहा कि सरकार की नाकामी के कारण मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण रद्द हुआ है। सरकार सदन में किसानों, बिजली आपूर्ति संकट, विद्यार्थियों की समस्या, कानून सुव्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है।  

खत्म नहीं हुआ है कोरोनाः परब

इससे जवाब में प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने कहा कि कोरोना महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। कोरोना के नए-नए स्ट्रेन मिल रहे हैं। स्ट्रेन के बारे में मिल रही जानकारी भयावह है। ऐसी स्थिति में कोरोना का प्रसार और न बढ़े इस दृष्टि से दो दिनों का अधिवेशन तय किया गया है। अधिवेशन में होने वाले कामों की जानकारी सत्र शुरू होने से पहले तैयार होने वाली कामकाज पत्रिका में दी जाएगी। इस बीच विधान परिषद में भाजपा समर्थित सदस्य विनायक मेटे ने कहा कि सरकार मराठा आरक्षण पर सदन में चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं हुई है। 

3 और 4 जुलाई को होगी कोरोना जांच

मानसून अधिवेशन के दौरान विधानभवन में प्रवेश के लिए सभी विधायकों, मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना की आरटीपीसीआर जांच विधानभवन परिसर में 3 और 4 जुलाई को होगी। जो लोग कोरोनारोधी टीके की दो डोज लगवा चुके हैं उन्हें भी कोरोना जांच कराना अनिवार्य होगा। अधिवेशन के दौरान विधायकों के निजी सहायक (पीए), वाहन चालक और सुरक्षा रक्षकों को विधानमंडल परिसर के पंडाल में बैठने की व्यवस्था होगी। निजी व्यक्तियों को सत्र की अवधि में विधानभवन परिसर में प्रवेश पर रोक रहेगी। मंत्रालय के अधिकारी व कर्मचारियों को सीमित स्वरूप में प्रवेश दिया जाएगा। 

सदन में ऐसी होगी आसान व्यवस्था 

अधिवेशन के दौरान आपसी दूरी के नियमों का पालन करने की दृष्टि से सदन में एक आसन पर एक सदस्य को बैठने का प्रबंध किया जाएगा। सदन की प्रेक्षक गैलरी और विद्यार्थी गैलरी में भी सदस्यों को बैठने की अनुमति होगी। सदन में आने वाले सदस्यों को एक फेस शिल्ड, मास्क, हाथ के दस्ताने, सैनिटाइजर बोतल उपलब्ध कराया जाएगा। 

विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का फैसला सत्र से पहले- थोरात 

कांग्रेस के विधानमंडल दल नेता तथा प्रदेश के राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने कहा कि तीनों दलों के नेता बैठक करके अधिवेशन शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव का फैसला कर लेंगे। जबकि मंत्री परब ने कहा कि विधानमंडल की कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है। परब ने कहा कि जब विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होगा तो सदन में सत्ताधारी दलों के बहुमत का आंकड़ा नजर आएगा। वहीं विपक्ष के नेता फडणवीस ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पत्र के बावजूद सरकार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए तैयार नजर नहीं आ रही है। 

बता दें कि कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने इस साल बजट सत्र से पहले 4 फरवरी 2021 को विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा अध्यक्ष पद कांग्रेस कोटे में हैं पर अब पटोले के इस्तीफे के बाद सरकार में शामिल दो अन्य दल शिवसेना व राकांपा कांग्रेस को विस अध्यक्ष पद देने में आनाकानी कर रहे हैं। जबकि राकांपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नाम ही तय नहीं कर पा रही है। 
 

Created On :   22 Jun 2021 2:12 PM GMT

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