कोरोना महामारी और एसटी महामंडल की आर्थिक मदद है बड़ा कारण

More debt burden on Maharashtra, Corona epidemic and financial help of ST Mahamandal is the big reason
कोरोना महामारी और एसटी महामंडल की आर्थिक मदद है बड़ा कारण
महाराष्ट्र पर बढ़ा कर्ज का बोझ कोरोना महामारी और एसटी महामंडल की आर्थिक मदद है बड़ा कारण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र पर कर्ज बोझ बढ़कर 6,49,699 करोड़ रुपये हो गया है। यह राज्य की जीडीपी का 18.14 फीसदी है। इससे पहले 2019-20 में राज्य पर 4,51,117 करोड़ रुपये, 2020-21 में 5,19,086 करोड़ रुपये और 2021-22 में 5,72,379 करोड़ रुपये कर्ज था। बढ़ते कर्ज के लिए वित्तमंत्री ने कोरोना महामारी और एसटी महामंडल की आर्थिक मदद को कारण बताया है। 

किस विभाग को मिला क्या

•    कृषि विभाग को 3 हजार 35 करोड़
•    सहकारिता, विपणन एवं वस्त्र विभाग को 1 हजार 512 करोड़
•    जल संसाधन विभाग को 13 हजार 552 करोड़ और खार भूमि विकास के लिए 96 करोड़
•    2022-23 में रोजगार गारंटी योजना के लिए 1,754 करोड़ और बागवानी के लिए 540 करोड़ रुपये
•    मृदा एवं जल संरक्षण विभाग को 3 हजार 533 करोड़
•    पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग को 406 करोड़ 1 लाख
•    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 3 हजार 183 करोड़
•    चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग को 2 हजार 61 करोड़
•    कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विकास विभाग को 615 करोड़
•    उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को 1 हजार 619 करोड़
•    स्कूल शिक्षा विभाग को 2,354 करोड़ रुपये और खेल विभाग को 385 करोड़ रुपये
•    सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग को 2 हजार 876 करोड़, अनुसूचित जाति घटक कार्यक्रम के लिए 12 हजार 230 करोड़, कुल 15 हजार 106 करोड़।
•    अन्य पिछड़े बहुजन कल्याण विभाग को 3 हजार 451 करोड़
•    आदिवासी विकास विभाग को 11 हजार 199 करोड़
•    महिला एवं बाल विकास विभाग को 2 हजार 472 करोड़
•    ग्रामीण विकास विभाग को 7 हजार 718 करोड़ और आवास विभाग को 1 हजार 71 करोड़
•    सड़क विकास के लिए 15 हजार 673 करोड़ और भवन निर्माण के लिए 1 हजार 88 करोड़ रुपये
•    परिवहन विभाग को 3 हजार 3 करोड़, बंदरगाह विकास को 354 करोड़ और शहरी विकास विभाग को 8 हजार 841 करोड़ रुपये
•    उद्योग विभाग को 885 करोड़
•    ऊर्जा विभाग को 9 हजार 926 करोड़
•    जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग को 3 हजार 223 करोड़
•    राहत एवं पुनर्वास विभाग के लिए 467 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रस्तावित साथ ही प्राकृतिक आपदा राहत एवं अन्य अनिवार्य व्यय हेतु 10 हजार 655 करोड़ 73 लाख 7 हजार रुपये की व्यवस्था 
•    श्रम विभाग को 125 करोड़
•    विधि एवं न्याय विभाग को 578 करोड़
•    पर्यटन विकास के लिए 1,704 करोड़ रुपये और सांस्कृतिक मामलों के लिए 193 करोड़ रुपये
•    अल्पसंख्यक विकास विभाग को 677 करोड़
•    गृह विभाग को 1 हजार 892 करोड़
•    राजस्व विभाग को 347 करोड़ और वन विभाग को 1,995 करोड़ रुपये
•    पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के लिए 253 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रस्तावित
•    नियोजन विभाग को 6 हजार 818 करोड़ 99 लाख
•    मराठी भाषा विभाग को 52 करोड़, सामान्य प्रशासन विभाग को 1 हजार 139 करोड़, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग को 702 करोड़ और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को 265 करोड़।

 

Created On :   11 March 2022 8:52 PM IST

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